आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व जब वर्ष 2005 में बिहार में राबड़ी देवी की सरकार गिरी थी तो अधिकतर लोगों ने सोचा था कि शायद अब लालू प्रसाद यादव एवं उनके सहयोगी अपराधियों को उनके द्वारा किए गए कुकर्मों की सज़ा मिलेगी परंतु अगले एक दशक से अधिक समय तक ऐसा हो पाना संभव न हो सका। लालू प्रसाद यादव के ऊपर चल रहे सारे मुक़दमे भारत की ‘बेचारी दयनीय न्यायवस्था’ का मखौल उड़ाते हुए तारीख़-दर-तारीख़ भारत की उत्पीड़ित जनता के ज़ख्मों पर नमक छिड़कते आ रहे थे। उसके बाद आया वर्ष 2014 का वह समय, जब आपके एक वोट ने भारत की राजनीति से कांग्रेस को उखाड़ फेंकते हुए जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवा दी। फिर उसके बाद चारा-चोर लालू प्रसाद यादव की क़िस्मत का जो काला-अध्याय शुरू हुआ तो उसने उन्हें सीधे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लिया।
हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों को यह लगे कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने और लालू प्रसाद यादव को उनके कुकर्मों की सज़ा दिलवाने के बीच में भला क्या संबंध हो सकता है? तो आइए, आपको बताते हैं कि किस तरह से आपके एक वोट ने भ्रष्टाचारी,अराजक एवं चारा-घोटालेबाज़ लालू प्रसाद यादव की किस्मत में पूनम के चमचमाते चांद की जगह अमावस की रात की स्याह कालिमा पैबस्त करके उनकी गुंडागर्दी को सीमेंट और लोहे की अभेद्य दीवारों और सलाखों के पीछे एक जंगली जानवर की मानिंद क़ैद करके जेल में सड़ने के लिए ठूंस दिया।
दरअसल लालू प्रसाद यादव के द्वारा घोटाले, जंगलराज एवं भ्रष्टाचार करने के बाद मोदी सरकार से पहले देश में जो भी सरकारें बना करती थीं, वे सारी की सारी सरकारें अल्पमत की सरकारें हुआ करती थीं। ऐसी सरकारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दलों के समर्थन की आवश्यकता हुआ करती थी। इसका यह परिणाम हुआ करता था कि तत्कालीन सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों एवं क्षेत्रीय पार्टियों के बीच निजी स्वार्थों को लेकर अंदरख़ाने कई गुप्त समझौते हुआ करते थे। ऐसे समझौतों में भी मुख्यतः क्षेत्रीय दलों के अपराधी एवं भ्रष्टाचारी नेताओं पर चल रहे मुकदमों अथवा जांच एजेंसियों के द्वारा उनकी जांच में ढील बरते जाने एवं देरी किए जाने से संबंधित मामले हुआ करते थे। अतः पूर्ववर्ती केंद्रीय सरकारों की उपरोक्त वर्णित मजबूरियों के कारण लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पार्टी के अन्य अपराधी नेतागण बेख़ौफ़ होकर भारतीय न्याय-व्यवस्था का न केवल मज़ाक़ उड़ाया करते थे बल्कि उसके साथ खुलेआम बेरहमीपूर्वक बलात्कार भी किया करते थे।
चूंकि लालू प्रसाद यादव न केवल बिहार बल्कि भारत के अव्वल दर्ज़े के छटे हुए महाभ्रष्ट, अराजक एवं हिंदूद्रोही नेताओं की लिस्ट में सर्वोच्च स्थान रखते थे, इस कारण लालू प्रसाद यादव, भारत की पूर्ववर्ती तथाकथित सेकुलर, भ्रष्ट, अराजक एवं हिंदूद्रोही सरकारों के पसंदीदा नेता भी हुआ करते थे। निजी एवं पार्टी स्तर पर स्वार्थों एवं भ्रष्ट-आचरण में समानता रखने के चलते भारत की पूर्ववर्ती केंद्रीय सरकारों एवं एजेंसियों में बैठे हुए महा-भ्रष्ट नेताओं एवं अधिकारियों से लालू प्रसाद यादव की बहुत अच्छी सांठ-गांठ हुआ करती थी जिसके कारण वे एक लंबे समय तक भारतीय न्याय-व्यवस्था के शिकंजे में फंसने से बचे रहे। भूले-भटके यदि कभी जनता एवं मीडिया के दबाव में वे हल्के-फुल्के फंसते दिखाई पड़े भी तो सरकारी सिस्टम के अंदर उनकी ज़बरदस्त पैठ ने उनको जल्द ही ज़मानत दिलवाकर उनसे सम्बंधित मुक़दमों को सुप्तावस्था मोड पर डलवा दिया।
कुल मिलाकर पहले के समय में लालू प्रसाद यादव की ताक़त का आलम कुछ-कुछ ऐसा था कि कोई भी अदालत अथवा जांच एजेंसी उनकी गर्दन को अपने शिकंजे में नहीं फांस पाई थी। वर्ष 2014 में जब आपने अपने मात्र एक वोट से पूर्ववर्ती तथाकथित सेकुलर, भ्रष्ट, अराजक एवं हिंदूद्रोही सरकार को उखाड़कर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनवाई तो फिर कहीं जाकर उसके बाद भारत की जांच एजेंसियां और अदालतें लालू प्रसाद यादव नामक भारत के सर्वाधिक भ्रष्ट, अराजक एवं हिंदूद्रोही नेता को उनके पापों की सज़ा दिलवाने के लिए लिए प्रयासरत हो पाईं।
यह केवल आपके एक वोट का कमाल ही था कि एक समय जिन केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के जूते लालू प्रसाद यादव की चौखट पर उनकी जी-हुज़ूरी करने में ही घिस जाया करते थे, वक़्त बदलते ही उन्हीं केंद्रीय एजेंसियों के बेहतरीन कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों ने दिन-रात के अथक परिश्रम एवं जोखिम भरे प्रयासों के परिणामस्वरूप जुटाए गए सबूतों और तथ्यों के आधार पर भारत की राजनीति के कलंक एवं घोटाला-किंग लालू प्रसाद यादव को अपने शिकंजे में फांसकर उनकी लफ्फाज़ी और थेथरई की न केवल मुश्कें कसीं बल्कि उनकी बेशर्मी और गुंडागर्दी को अपने जूतों से कुचलते हुए उनको उनके पापों की कठोर सज़ा भी दिलवाई।
शलोॐ…!