हज्जाम जिहाद: बदायूं में हुई आतंकी घटना का इज़रायली अन्वेषण…

मालूम हुआ कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में हजामत बनाने का काम करने वाले एक हज्जाम मोहम्मद साजिद ने अपने पड़ोस में रहने वाले दो काफ़िर बच्चों की गर्दनों को ज़बह कर उनका क़त्ल कर दिया। बच्चों की गर्दनों को ज़बह करने के बाद उस इस्लामी मुजाहिद ने अल्लाहपाक का शुक्रिया अदा करते हुए उनके ख़ून से अपने चेहरे को भी धोया।

अब चाहे ईमानवाले साजिद के इस काम की पूरी दुनिया मज़्ज़मत यानी कि कड़ी निंदा करती रहे लेकिन बाबा इज़रायली के मुताबिक़ आसमानी किताब की रोशनी में उसका यह अमल एकदम शरीयतन दुरुस्त था। दरअसल मोहम्मद ने अपने आतंकी अनुयायियों को उन सभी लोगों को मौत के घाट उतारने का हुक्म दिया है जो अल्लाह और उसके ऊपर ईमान नहीं रखते हैं। हालांकि ज़ाहिरी तौर पर उसने जिहाद में काफ़िर बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को न मारने की घोषणा की है लेकिन उसने यह कहकर सांकेतिक रूप से अपने गैंग के मुजाहिदीन को बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं समेत सभी काफ़िर को मारने के हुक्म जारी किए हैं कि ये सब उनमें यानी काफ़िरों में से ही हैं अर्थात इनको क़त्ल किया जा सकता है। बस मोहम्मद ने बस केवल उन्हीं काफ़िर महिलाओं को न मारने का आदेश दिया है जो उसके गैंग के लोगों की हवस का शिकार बनने की क़ाबिलियत रखती हैं यानी कि जवान हैं। अगर कोई सेकुलर व्यक्ति हमारे इस बात को तस्लीम नहीं करता है तो वह सहीह मुस्लिम हदीस की किताब-उल-जिहाद का मुताल्लाह कर सकता है।

देखें निम्न संदर्भ-

चित्र-01: इस्लामी किताब सहीह मुस्लिम में संदर्भित काफ़िर बच्चों को क़त्ल करने का हुक्म

ख़ैर, बदायूं में जो कुछ भी हुआ वह इसी इस्लामी तालीम का ही एक परिणाम भर था लेकिन दुनिया को नहीं भूलना चाहिए कि गत 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इज़रायल के ऊपर किए गए आतंकी हमले के पश्चात वहां पर रहने वाले यहूदी बच्चों और महिलाओं के साथ भी इसी बर्बर इस्लामी अमल को सर-अंजाम दिया गया था। हालांकि उसके बाद इजरायल ने हमास के इस्लामी आतंकियों को उनकी आयशा-फ़ातिमा याद दिलाते हुए उनको न केवल कठोरतम रूप से दंडित किया बल्कि पूरे के पूरे ग़ाज़ा का बजा बजाकर उसे ज़मींदोज़ कर दिया।

चित्र-02: अपने तीनों बच्चों के साथ संगीता

यह बात अलग है कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुए इस वाक़ए के बाद यूपी पुलिस ने बच्चों की गर्दनें काटने वाले इस्लामी आतंकवादी मोहम्मद साजिद को 3 घंटे के अंदर एनकाउंटर में ढेर कर दिया लेकिन हमें इस बात पर भी ज़रूर मनन करना चाहिए कि आख़िर क्यों उत्तर प्रदेश में आतंकवादियों के काल माने जाने वाले बाबा योगी आदित्यनाथ की सरकार होने के बाद भी इस्लामी आतंकवादियों के जिहादी हौसले कमज़ोर नहीं हुए हैं? चाहे कमलेश तिवारी की हत्या की बात हो या फिर साधुओं समेत बदायूं में हुए इस हिंदू नरसंहार की बात- आख़िर वह कौन सी तालीम है जो इस्लाम के मुजाहिद को मज़हबी दीवाना बना देती है? उसके बाद वह मुजाहिद जिस खूंरेज़ी को करने की ठान लेता है, फिर चाहे किसी की भी सरकार क्यों न हो, उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता और वह जिहाद-उल-फ़ीसबिलिल्लाह यानी कि अल्लाह की राह में जिहाद को अंजाम देकर जन्नत-उल-फ़िरदौस में अपनी सीट पक्की करवा लेता है।

अस्तु, बदायूं में घर में घुसकर दो काफ़िर बच्चों के क़ातिल मोहम्मद साजिद को भले ही पुलिस ने तीन घंटे के अंदर ही एनकाउंटर में मार गिराया हो, लेकिन अभी कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब मिलने बाकी हैं। बदायूं पुलिस के साथ-साथ स्थानीय हिंदूजन भी फिलहाल इन सवालों के जवाब देने से कतरा रहे हैं-

  1. मुख्य आरोपी मोहम्मद साजिद ने आख़िर उस परिवार के बच्चों को क्यों मौत के घाट उतार दिया, जिस परिवार ने उसकी बेगम के इलाज के लिए 5,000 रुपये उधार दिए थे?
  2. मोहम्मद साजिद और पीड़ित परिवार का कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ था और न ही कभी कोई अनबन नहीं हुई थी। बच्चे साजिद के यहां ही बाल कटवाने जाते थे तो आख़िर साजिद ने उन बच्चों का गला क्यों रेत दिया?
  3. आख़िर पड़ोस की दुकान पर काम करने वाले एक ईमानवाले हज्जाम के मांगने पर घर की मालकिन ने उसे फ़ौरन ₹5,000 ‘उधार’ कैसे दे दिए?
  4. ₹5,000 लेने के बाद मोहम्मद साजिद के अंदर इतनी हिम्मत कैसे आई कि उसने छत पर जाकर उसीबघर की मालकिन को अपनी ख़िदमत में चाय बनाने का हुक्म दे दिया और घर की मालकिन एक आज्ञाकारी ख़िदमतगार की तरह उस जिहादी के पास अपने बच्चों को छोड़कर उसके लिए चाय नाश्ते का इंतजाम करने लग गई?
  5. आखिर एक हिंदू परिवार का एक इस्लामी मुजाहिद के साथ इतना अधिक मेलजोल कैसे शुरू हुआ कि वह घर के मालिक की अनुपस्थिति में उसकी पत्नी से चाय-नाश्ता और रूपए ऐंठने के बाद पूरे घर को पार करते हुए घर की छत पर जा पहुंचा?
  6. आख़िर ऐसी कौन सी ख़ास जान-पहचान थी जो संगीता ने मोहम्मद साजिद को अपने घर के सामने हजामत बनवाने की दुकान रखवाने के लिए पूर्व में आर्थिक मदद भी प्रदान की थी? कहीं यह दुकान इसलिए तो नहीं रखवाई गई थी ताकि मोहम्मद साजिद आसानी से उसके घर में आ-जा सके और चाय-नाश्ता आदि का लुत्फ़ ले सके?
चित्र-03: मोहम्मद साजिद और घटना की मीडिया में आई ख़बरें

वैसे यह भी मालूम हुआ है कि बदायूं की बाबा कॉलोनी की रहने वाली घर की मालकिन के पतिदेव विनोद ठाकुर जल जीवन मिशन योजना में संस्थागत ठेकेदार हैं और वह काम के सिलसिले में ‘ज़्यादातर बाहर’ ही रहते हैं। घटना के वक्त घर में उनकी मां मुन्नी देवी, पत्नी संगीता, बेटा आयुष (उम्र 12 वर्ष), पीयूष (10 वर्ष) और आहान (6 वर्ष) थे।

समाचार जो समाचार पत्रों में छपा है वह इस प्रकार है कि तीनों बच्चे तीसरी मंजिल पर खेल रहे थे और महिलाएं घर में थीं। घर के सामने ही मझिया रोड पर मोहम्मद जावेद और उसके भाई मोहम्मद साजिद का सैलून है। शाम पांच बजे दोनों भाइयों ने दुकान बंद की और फिर साजिद उनके घर पहुंच गया। साजिद ने विनोद की पत्नी संगीता से ₹5,000 मांगे। संगीता ने उसे ₹5,000 दे दिए इसके बाद उसने संगीता को चाय बनाने के लिए कहा। संगीता जैसे ही उसके लिए चाय बनाने के लिए किचन में गई, वह घर की तीसरी मंज़िल पर चला गया।

वहां पर उसने तीनों बच्चों को मार डालने की कोशिश की। छुरी से गला काटकर आयुष और आहान की हत्या करने में वह कामयाब भी हो गया। मझला भाई पीयूष भी हमले में ज़ख्मी हो गया। वह शोर मचाते हुए वहां से भाग गया। पीयूष ने नीचे जाकर लोगों को घटना के बारे में जानकारी दी तो सब हैरान रह गए। घटना के बाद साजिद फ़रार हो गया। उधर, जैसे ही लोगों के बीच इस घटना की ख़बर फैली, क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस को सूचना प्राप्त होने के कुछ ही देर बाद मोहम्मद साजिद को गिरफ़्तार लिया गया और पुलिस की गिरफ़्त से ‘भागने की कोशिश’ करने पर योगी बाबा की पुलिस ने उसको ख़ुदागंज पहुंचा दिया।

वीडियो: क़त्ल किए गए बच्चों के परिजन

वैसे यदि बाबा इज़रायली की मानें तो यह कहानी बड़ी ही घिसी-पिटी है और लगता है कि किसी पुरानी मुंबइया फिल्म से चुराई गई है। हालांकि देर-सवेर इस पूरे प्रकरण का सच सामने आएगा ही लेकिन यदि तात्कालिक रूप से पुलिस बच्चों की मां संगीता को रिमांड पर लेकर उसकी अच्छे से पूछताछ करे तो इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि इस घटना के पीछे एक बहुत बड़ा ट्रैप और इस्लामी षड्यंत्र बेनक़ाब होगा।

हमारा अंदेशा है कि मोहम्मद साजिद और मोहम्मद जावेद ने विनोद कुमार की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी संगीता को लव-जिहाद और सेक्स-जिहाद में फांस रखा हो। इतना ही नहीं उन्होंने संगीता की कई आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियोज़ भी शूट करके रखे हो सकते हैं। शायद यही कारण हो कि वे लोग उस घर में स्वतंत्रतापूर्वक जब चाहे तब आते-जाते थे, उक्त महिला से जमकर धनउगाही करते थे और उसे सेक्स-स्लेव बनाकर उसे अपनी ख़िदमत करवाते थे।

हिंदुओं, बाबा इज़रायली की इस वसीयत को हमेशा याद रखना कि ईमानवाले नर-पिशाचों के साथ किसी भी प्रकार का संबंध तुमको बर्बाद ही नहीं बल्कि नेस्तनाबूद भी कर सकता है। यदि कोई आसमानी तुम्हारे संपर्क में है और तुम अभी तक सुरक्षित बचे हुए हो तो इसका यह मतलब नहीं कि वह आसमानी एक अच्छा व्यक्ति है। दरअसल इसके पीछे यह सच्चाई है कि उसे अभी तक तुम्हें ख़त्म करने का मौक़ा नहीं मिला है। जिस दिन समय, काल और परिस्थिति उसके हक़ में आईं और उसे मौक़ा मिला- वह तुम्हें हलाक़ करने में एक पल की भी देरी नहीं लगाएगा। यही वह शाश्वत सत्य है जिसे यदि तुम समझ सकते हो तो समय रहते समझ लो। इसी में तुम्हारी और तुम्हारी नस्लों की ख़ैरियत छुपी हुई है…

शलोॐ…!