भगवा जिहाद: पांचवीं पीढ़ी का एक आलातरीन इस्लामी जिहाद…

हो सकता है कि इस आलेख के शीर्षक ‘भगवा जिहाद’ को पढ़कर आपको कुछ अजीब सा लगा हो परंतु यह बात 100% सत्य है कि मौजूदा समय में यह जिहाद ग़ज़वा-ए-हिंद नेटवर्क के द्वारा अंजाम दिए जा रहे जिहादों में एक आलातरीन जिहाद का रूप ले चुका है। यह एक ऐसा जिहाद है कि जिसके माध्यम से इस्लामी जमात के द्वारा हिंदू प्रतीकों के माध्यम से इस्लामी लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

भारत में इस भगवा जिहाद को मुख्यतः दो प्रकार से संचालित किया जा रहा है। इसके पहले प्रकार में मतांतरित होने वाले हिंदुओं को उनके पूर्ववर्ती नामों के साथ इस्लामी जिहादी गतिविधियों में प्रयोग किया जा रहा है तो वहीं इसके दूसरे प्रकार में जन्म से मुस्लिम मुजाहिदीन अपना नाम बदलकर लव-जिहाद एवं रेप जिहाद जैसे घृणित कुकृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। अभी हाल ही के कुछ दिनों में यह देखा गया है कि कई मुजाहिदीन हिंदू साधुओं एवं साध्वियों आदि के वेश में हिंदू बहुल इलाकों में रेकी करने जाते हैं और वहां रहने वाले भोले-भाले हिंदुओं को अपने झांसे में लेकर अपने मज़हबी लक्ष्यों को पूरा करने में जी-जान से जिहाद करते हैं। ख़ुद को ‘ईमानवाला’ कहने वाले ये मुजाहिदीन कितने धूर्त होते हैं, इस बात को नीचे दिए गए दो उदाहरणों के माध्यम से आसानी के साथ समझा जा सकता है।

चित्र: सहारनपुर में भगवा जिहाद की एक घटना

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर ज़िले के रामपुर मनिहारान नामक कस्बे में भगवा वस्त्र धारण करके एक ‘ईमानवाली ख़ातून’ पीतल का कमंडल लिए घरों के दरवाजों पर जाकर भिक्षा मांग रही थी। तभी वहां से गुज़र रहे एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं को उसके बोलने के लहज़े पर शक हुआ। जब उन्होंने उस साध्वी से गायत्री मंत्र सुनाने को कहा तो उसने सुनाने से इन्कार कर दिया। गायत्री मंत्र सुनाने के अलावा भी वह हिंदू धर्म से जुड़े हुए किसी भी बुनियादी सवाल के जवाब नहीं दे पाई। अधिक जांच-पड़ताल करने पर वह तथाकथित हिंदू साध्वी अंततः टूट गई और उसने यह कबूल कर लिया कि वह कोई हिंदू साध्वी नहीं है और वह एक इस्लामी मुजाहिदा (जिहादिन) है जो हिंदू इलाकों में जाकर रेकी करती है और भोली-भाली हिंदू महिलाओं को मूर्ख बनाकर उनसे पैसे ऐंठती है। अतः फ़र्ज़ी साध्वी की सच्चाई सामने आने के पश्चात स्थानीय हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने उस इस्लामी मुजाहिदा को पकड़कर स्थानीय पुलिस को सौंप दिया। उसके बाद फिर इन मामलों में जैसा हमेशा से होता आया है, वैसा ही हुआ। फ़र्ज़ी साध्वी के पकड़े जाने की यह ख़बर जैसे ही घटनास्थल के पड़ोस की मस्जिद को हुई, वहां की इंतज़ामिया कमेटी फ़ौरन ही हरकत में आ गई और उसने येन-केन-प्रकारेण, इस मामले को ‘मैनेज करवाकर’ उस ईमानवाली ख़ातून की रिहाई करवा दी।

वीडियो: हिंदू साध्वी के वेश में हिंदू बस्तियों की रेकी करते हुए पकड़ी गई एक मुजाहिदा

इसके अलावा कुछ समय पहले ऐसे ही एक अन्य मामले में कार्यवाही करते हुए टीम बाबा इज़रायली ने हिंदू साधु के रूप में घूम रहे एक जिहादी ईमानवाले अली ख़ान बल्द मुहम्मद ख़ान निवासी वाराणसी, को पकड़ा था। पकड़े जाने के पश्चात अली ख़ान ने बताया था कि वह बहुत सारे हिंदुओं को मूर्ख बनाकर उन्हें अपना भक्त बनाता था और उनसे पैसे ऐंठा करता था। इतना ही नहीं उसने सैकड़ों बे-औलाद हिंदू महिलाओं को पुत्र-प्राप्ति का वरदान प्रदान करने हेतु ख़ालिस सुन्नती तरीक़े से आसमानी जैविक-सेवाएं भी प्रदान की थीं।

वीडियो: हिंदू साधु के वेश में हिंदू बस्तियों की रेकी करते हुए पकड़ा गया एक मुजाहिद

तो भाइयों और बहनों, भगवा-जिहाद के इन आसमानी मामलों का गहन अन्वेषण करने के पश्चात हमने यह पाया कि इस्लामी मुजाहिदीन के द्वारा इस तरह के भगवा जिहाद को केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल, भूटान और श्रीलंका में भी ज़ोर-शोर के साथ अंजाम दिया जा रहा है। इस्लामी मुजाहिदीन के द्वारा पूर्व में म्यांमार में भी इस प्रकार के भगवा जिहाद को अंजाम देने की नापाक कोशिशें की गई थीं परंतु वहां की जागरूक बौद्ध जनता ने संबंधित मुजाहिदीन को सीधे स्थानीय पुलिस के हाथों में सौंपने के स्थान पर सबसे पहले उसकी अच्छे से तुड़ाई की और उन्हें इज़रायली तरीक़े से हाहाकारी इलाज मुहैया करवाना सुनिश्चित किया। उसके पश्चात कुछ और अधिक हिम्मत रखने वाले बौद्ध युवाओं ने बड़ी ही ख़ामोशी के साथ संबंधित मुजाहिदीन को ‘ख़ुदागंज’ पहुंचाने के सभी ‘साधनों’ पर गंभीरता के साथ विचार करते हुए अमल किया।

इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात और कि म्यांमार के बौद्ध युवाओं ने उपरोक्त सफ़ाई कार्यवाहियों को अंजाम देने की पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की कोई फ़ोटोग्राफी अथवा वीडियोग्राफ़ी करने जैसी मूर्खता नहीं की और न ही दिखास व छपास जैसी कोरी वाहवाही पाने के उद्देश्य से संबंधित घटनाओं के किसी भी चरण का ज़िक्र, अपनी परछाईं तक से किया। अंततः उनकी इस सचेतता का परिणाम यह निकला कि अल्लाह सुब्हानवत’आला के फ़ज़ल-ओ-करम से म्यांमार में जिहाद करने की हसरत रखने वाले सभी ईमानवाले मुजाहिदीन को वहां की ‘ख़ुदागंज वाली मस्जिद’ से मग़फ़िरत (मोक्ष) हासिल हो गई।

शलोॐ…!