जैसा कि आप जानते होंगे कि 27 फ़रवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में एक कारसेवकों से भरी एक रेलगाड़ी को दुर्दांत हिंसक इस्लामी जिहादियों ने आग के हवाले कर दिया था जिसमें 90 से अधिक मासूम कारसेवक बलिदान हुए थे। इस घटना के बाद प्रतिक्रिया-स्वरूप राज्य में व्यापक स्तर पर दंगे हो गए थे। उसके बाद कांग्रेस सहित भारत की तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने तत्कालीन गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेकर काफ़ी लंबे समय तक अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी थीं।
ऐसी ही एक बिहार की तथाकथित सेकुलर पार्टी थी ‘राजद’, जिसके नेता लालू प्रसाद यादव बिहार में एक लंबे समय तक ‘जंगलराज’ क़ायम करने के लिए विश्व भर में कुख्यात रहे थे। दुर्भाग्यवश लालू प्रसाद यादव को वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2009 के मध्य तत्कालीन यूपीए सरकार में रेल मंत्री बनने का अवसर मिला और लालू प्रसाद यादव ने अपने इस्लामी तुष्टीकरण के चलते गोधरा कांड में बलिदान हुए हिंदुओं की लाशों पर निकृष्टतम राजनीति करते हुए उस जघन्यतम-महापाप के दोषियों को बचाने का शर्मनाक कुकृत्य किया।
लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए जस्टिस बनर्जी कमीशन बनाकर उसमें अपने प्यादों को फिट किया और उनसे अपने मन-मुताबिक़ रिपोर्ट तैयार करवाकर उस घटना की असलियत पर पर्दा डालने का शर्मनाक षड्यंत्र रचा। शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो लेकिन यह बात सौ-प्रतिशत सत्य है कि लालू प्रसाद यादव के द्वारा बनाए गए जस्टिस बनर्जी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद से गुजरात जा रही साबरमती ट्रेन में जो हिंदू ज़िंदा जले थे, उस घटना में स्थानीय इस्लामी भीड़ का कोई हाथ नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया था कि गोधरा में हुई घटना को मुस्लिमों के द्वारा अंजाम नहीं दिया गया था और वह एक यांत्रिकी दुर्घटना मात्र थी।
लालू प्रसाद यादव के द्वारा गठित किए गए बनर्जी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में इतने पर भी सब्र नहीं किया और आगे लिखा कि गोधरा घटना के मूल में सारी की सारी ग़लती और लापरवाही हिंदुओं की ही थी। कुल-मिलाकर लालू प्रसाद यादव के द्वारा गठित बनर्जी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में गोधरा कांड के असली दोषियों को बचाने का पूरा-पूरा प्रयास करते हुए ऐसी रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि साबरमती एक्सप्रेस में ट्रेन के अंदर से आग लगी थी। यानी कि बेशर्म जस्टिस बनर्जी कमीशन यह कहना चाहता था कि बलिदानी कारसेवकों ने स्वयं ही ट्रेन में आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
लेकिन एक पुरानी कहावत है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है, तो वर्ष 2013 से लालू प्रसाद यादव के कुकर्मों का पलडा इतना भारी हुआ कि उसके बाद लालू प्रसाद यादव की गुंडागर्दी की सारी अकड़, हेकड़ी, थेथरई और धूर्तता, रांची-जेल की चौखट पर अपनी एडियां रगड़ते हुए अपने पापों का त्वरित दंड भोगने लग गई। उसके बाद आया वर्ष 2014, जब आधी शताब्दी से अधिक की कांग्रेसी गुलामी झेलने वाले भारत को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री मिला। उसके बाद गोधरा में हुए कांग्रेसी और इस्लामी षड्यंत्रकारियों को सबूतों से साथ भारत के विभिन्न राज्यों से ढूंढ-ढूंढ कर दबोचकर सलाखों के पीछे ठूंसा जाने लगा और इस प्रकार लालू प्रसाद यादव के द्वारा बनाए गए ‘जस्टिस बनर्जी कमीशन’ की नंगी हक़ीक़त समस्त विश्व के सामने ज़ाहिर हो गई।
उदाहरण के तौर पर, गोधरा कांड के साज़िशकर्ताओं में से एक बेहद शातिर तबलीगी इस्लामी जिहादी साज़िशकर्ता आतंकी जिसका कि नाम मोहम्मद याक़ूब पातलिया था, काफ़ी लंबे समय से भारत की जांच-एजेंसियों को गुमराह कर रहा था। उसके षड्यंत्रों को अदालत में सिद्ध करने के लिए भारत की जांच-एजेंसियों के 3 दर्ज़न से अधिक सामर्थ्यवान अधिकारियों ने 1,000 दिनों से अधिक समय तक अथक मेहनत की थी जिसके परिणामस्वरूप उनके द्वारा जुटाए गए अकाट्य सबूतों के आधार पर उसे अदालत में दोषी सिद्ध करने में सफलता प्राप्त हुई थी।
याक़ूब पातलिया को आउटर सिग्नल पर चेन-पुलिंग करके साबरमती ट्रेन को रोकने की साज़िश रचने, सीसीटीवी फुटेज में ट्रेन को जलाने के लिए पेट्रोल ख़रीदने और गोधरा कांड में साज़िश रचने का दोषी पाया गया। उसके ख़िलाफ़ जुटाए गए पेट्रोल पंप वालों के बयान और पेट्रोल पंप की सीसीटीवी फुटेज जैसे कई अन्य छोटे-छोटे सुबूत, उसे सज़ा दिलवाने के लिए अंत में निर्णायक रूप से अहम सबूत साबित हुए। इसके उपरांत एसआईटी कोर्ट ने उसे साबरमती एक्सप्रेस को जलाने का दोषी पाया और इसके लिए उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इस मामले में एसआईटी कोर्ट ने पहले भी 31 दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
कुल-मिलाकर आज के इस लेख का आशय बस केवल इतना है कि गुजरात के गोधरा में हुए हिंदू-नरसंहार में जितना अपराध दुर्दांत इस्लामी जिहादियों का था, उनको बचाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत के पूर्व रेल मंत्री रहे हिंदू द्रोही लालू प्रसाद यादव उससे भी बड़े अपराध के भागी हैं जिन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते न केवल अपने पद, कर्तव्य, मर्यादा एवं पदभार के समय ली जाने वाली शपथ के साथ-साथ ग़द्दारी की अपितु मानवीयता के निम्नतम स्तर को भी लांघते हुए नाली के कीड़े से भी अधिक घृणा-योग्य दुश्चरित्र के प्रतीक बनकर मानवताद्रोहियों का साथ दिया।
लालू प्रसाद यादव गोधरा बलिदानियों के गुनाहगार हैं। शायद अपने इन्हीं कुकर्मों के कारण जिस बुढ़ापे में उन्हें अपने घर में रहकर पुत्र-पुत्रियों एवं पौत्रों-पौत्रियों के द्वारा सेवा का सुख मिलना चाहिए था, आज उन्हें जेल की सज़ा काटनी पड़ रही है। सुनने में तो यहां तक आया है कि जेल में रहते हुए उनके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं। साबरमती ट्रेन में ज़िंदा जलाए गए मासूम हिंदू आत्माओं और उनके बच्चों की चीखें लालू प्रसाद यादव को कभी-भी चैन से जीने नहीं देंगी- यही प्रकृति का विधान है, यही ईश्वर का न्याय है और… यही गीता का उपदेश भी है…
शलोॐ…!