19 अप्रैल, सन 2000 की सुबह समाज कल्याण मंत्री लेसी सिंह के पति बूटन सिंह उर्फ मधुसूदन सिंह जब पूर्णिया के व्यवहार न्यायालय में पेश होने के लिए जा रहे थे, उसी समय न्यायालय के मुख्य द्वार पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद स्थानीय खजहाट थाने में दस अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया था। बाद में इस मामले को अनुसंधान के लिए सीबीआई को सौंपा गया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश से इस मुक़दमे की सुनवाई पटना में ही की जा रही थी।
सीबीआई ने छह जुलाई, सन 2001 को मामला दर्ज़ कर सभी दस अभियुक्तों के खिलाफ 05 फ़रवरी, सन 2004 को आरोप-पत्र दाख़िल किया था। उक्त मामले में जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया था उनमें पूर्व विधायक दिलीप यादव, विक्रम यादव, राघवेंद्र नारायण सिंह, मनोज यादव, विजय कुमार यादव, विपिन कुमार, राम नारायण यादव, निशिकांत यादव, असीम कुमार उर्फ डिंपल मेहता एवं प्रीतम कुमार उर्फ लड्डू सिंह शामिल थे। हत्या का कारण राजनीतिक दुश्मनी बताया गया था। हत्या के समय मृतक बूटन सिंह एक दूसरे मामले में जेल में बंद थे। बूटन सिंह की उन दिनों पप्पू यादव के साथ वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी।
इस मामले के तीन अन्य अभियुक्तों- धमदाहा के पूर्व विधायक दिलीप यादव तथा दो अन्य मनोज यादव और विक्रम यादव को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में 09 जनवरी, सन 2015 को ही बरी कर दिया था जबकि अन्य पांच अभियुक्तों- विपिन कुमार यादव, निशिकांत यादव, विजय कुमार यादव, राघवेन्द्र नारायण सिंह और रामनारायण यादव को 17 जनवरी, सन 2015 उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी जबकि मामले के दो अभियुक्तों असीम कुमार उर्फ डिंपल मेहता एवं प्रीतम कुमार उर्फ लड्डू सिंह के ख़िलाफ़ सुनवाई नहीं की जा सकी।
शलोॐ…!