आज से लगभग 4 साल पहले बुलंदशहर के मोहम्मद दिलशाद, मोहम्मद इज़रायल और मोहम्मद ज़ुल्फ़िकार ने देखा कि अल्लाह के फ़ज़ल-ओ-करम से आज मौसम बहुत अच्छा है। अतः चलकर मौजमस्ती करने के लिए इस्लामी खेल ‘रेप जिहाद’ अर्थात ‘बलात्कार जिहाद’ को सुन्नती तरीके से अंजाम देकर आसमानी मज़ा लिया जाए।
इसके बाद इन तीनों इस्लामी शैतानों ने अपनी कार उठाई और बुलंदशहर के लिए निकल लिए। ज़ुल्फ़िक़ार के मुताबिक़, यह तीनों इस्लामी जिहादी अपनी ऑल्टो कार से बुलंदशहर के भूड़ चौराहे पर शाम को लगभग 6:00 बजे आ गए थे। उसके बाद यह लोग वहां पर किसी काफ़िर लड़की के निकलने का इंतज़ार करने लग गए। जब वहां पर काफ़ी देर तक इन्हें कोई काफ़िर लड़की नज़र नहीं आई तो फिर ये तीनों शैतान बुलंदशहर के भूड़ चौराहे से चांदपुर फाटक होते हुए काला आम नामक स्थान पर चले गए। वहां भी शिकार हाथ न लगने पर ये इस्लामी रेप जिहादी फिर से भूड़ चौराहे से होकर यमुनापुरम मॉल की तरफ़ निकल गए।
इसी दौरान इनको एक नाबालिग़ काफ़िर लड़की साइकिल से अकेली जाती दिखाई दी। उसे देखकर इनकी आंखों में शैतानी चमक आ गई और इन्होंने डेटसन शोरूम के बगल वाली गली में घुसते ही उसे अपनी कार में खींच लिया और मौके से फ़रार हो गए।
बस्ती से काफ़ी दूर निकलने के पश्चात इन तीनों इस्लामी रेप जिहादियों ने उस मासूम नाबालिग़ काफ़िर लड़की के साथ ठीक वैसे ही दुर्दांत इस्लामी तरीके से सुन्नती अमल अर्थात बलात्कार किया जिस प्रकार का अमल, आज से 1,400 पहले इनके आका और आदर्श पोपट साहब ने 8 साल 9 महीने की नाबालिग़ लड़की के साथ किया था।
गाड़ी में ही सामूहिक रेप-कांड को अंजाम देने के बाद इन इस्लामी जिहादियों ने उस लड़की के ही दुपट्टे से उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और फिर सुनसान रास्ता दिखते ही उसकी लाश को किनारे फेंककर वहां से चलते बने।
शलोॐ…!