जैसा कि आप सभी लोग जानते होंगे कि एक लंबे समय से फ़ेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप एवं इंस्टाग्राम जैसे हिंदू-द्रोही एवं वामपंथी सोशल मीडिया माध्यमों के द्वारा हिंदू-हितों के लिए कार्य करने वाले सनातनी-राष्ट्रभक्त लोगों को लगातार परेशान किया जा रहा है। ये हिंदू-द्रोही तत्व लगभग समस्त सोशल मीडिया माध्यमों पर विभिन्न प्रकार के साइबर साधनों का प्रयोग करते हुए सनातनी विचारकों को लगातार निशाना बनाकर उनकी विचारधारा का क्षरण कर रहे हैं।
इसी श्रृंखला में 01 अक्टूबर, 2020 के बाद तब हद ही हो गई जब फ़ेसबुक ने आधिकारिक रूप से अपने पूर्ववर्ती छुपे हुए दोहरे चरित्र एवं मानदंडों को शर्मनाक रूप से उद्घाटित कर दिया। यदि फ़ेसबुक की उक्त घोषणा को साधारण शब्दों में अभिव्यक्त किया जाए तो उसका आशय यही निकलता है कि चूँकि अमेरिका स्थित सिलीकान वैली वामपंथियों का गढ़ है और यदि उसे कार्य करना है तो उसे स्थानीय वामपंथी समुदायों का तुष्टीकरण करना ही होगा। साथ ही फ़ेसबुक की दक्षिणपंथी धड़ों को ये अप्रत्यक्ष चेतावनी भी थी कि हम तो तुम्हें ऐसे ही दबायेंगे, तुम हमारा क्या बिगाड़ लोगे?
अंततः फ़ेसबुक ने अगस्त-सितम्बर माह में ही आधिकारिक रूप से इस बात को स्वीकार कर लिया कि वह ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ जैसे इक-तरफ़ा वामपंथी दंगाई जुमले की असलियत को स्वतः ही उद्घाटित करते हुए अपने वैचारिक विरोधियों की अभिव्यक्ति के अधिकारों को ठिकाने लगाएगा। इसके लिए वामपंथी तत्वों की विचारधाराओं को आगे बढ़ाने और दक्षिणपंथी समुदायों की विचारधाराओं को कुचलने के लिए फ़ेसबुक अपनी नीतियों में अमूल-चूल परिवर्तन लाएगा जिसके फलस्वरूप वह वामपंथी विचारधाराओं को पोषित करने एवं दक्षिणपंथी विचारधाराओं को कुचलने के लिए शत-प्रतिशत कटिबद्ध एवं प्रतिबद्ध होगा।
अतः सूचना-प्रौद्योगिकी के इस विस्फोटक दौर में फ़ेसबुक के इस निर्णय के उपरांत अनेक वैश्विक सनातनी एवं प्रबुद्धजनों को अपनी विचारधाराओं के प्रसार का मार्ग अवरुद्ध होता सा प्रतीत हुआ। वामी-इस्लामी षड्यंत्रों के मध्य हिंदू-चेतनाओं को प्रज्ज्वलित रखने और मिटने न देने के लिए यहूदी मातृ-सत्ताओं की तर्ज़ पर उन्हें भी ऐसी स्वतन्त्र इंटरनेटी मातृ-संस्थाओं की आवश्यकता महसूस होने लगी जिनके माध्यम से शताब्दियों से सोई हुए हिंदू चेतनाओं की पूर्णिमा को आर्यावर्त की दुर्भाग्यशाली अमावासों की कारा से मुक्ति दिलाने के प्रयासों को उत्प्रेरित-गति प्रदान करते हुए पावन सनातनी-धरा की अनादिकालीन दैवीय-सभ्यता को कुचले जाने से बचाया जा सके।
तदोपरांत, सनातनी हितों के संरक्षण के लिए वर्षों से उद्यमरत एवं विधर्मी वैचारिक छद्म-युद्धों की भयावहता से पूर्ण-परिचित ‘टीम बाबा इज़रायली’ ने एक लंबे समय तक विभिन्न प्रकार की सुरक्षा चुनौतियां का सामना करने के उपरांत अपने सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप एक स्वतंत्र सनातनी विचारधारा के इंटरनेटी माध्यम- www.babaisraeli.com पोर्टल का निर्माण करके उसके सामाजिक-अवतरण को संबल प्रदान किया। फ़िलहाल, हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि इस वैचारिक-संस्था के माध्यम से न केवल युगों-युगों से कुचली गई हिंदू-चेतनाएं एवं हिंदू-हितों के लिए उठने वाली आवाज़ें, पहले की अपेक्षा कई गुना अधिक मुखरित एवं मारक होकर अपनी तीक्ष्णता की अनुभूति कराएंगी वरन हिंदू-हितों की अनदेखी करने वाले एवं उनके विरुद्ध कार्य करने वाले हिंदू-द्रोही तत्वों के षड्यंत्रों को बेनक़ाब करने में भी कामयाब होंगी। कुल-मिलाकर हमारा ऐसा अनुमान है कि इस बार की सर्दियां हिंदू-द्रोही तत्वों के लिए काफ़ी गर्म रहेंगी….
शलोॐ…!