गत दिनों पूर्व 21 अक्टूबर, 2020 को फ्रांस में एक शिक्षक सैमुअल पेटी की उनके ही छात्र रहे एक इस्लामी आतंकी मोहम्मद अब्दुल्लाह अंज़ोरोफ़ के द्वारा निर्मम तरीके से गला रेतकर सिर्फ़ इस वजह से हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने अपनी कक्षा में ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ नामक विषय के बारे में व्याख्यान देते समय पैग़म्बर मोहम्मद का कार्टून को प्रदर्शित किया था। उसके बाद जब जब फ्रांस के नागरिकों ने इस्लामी आतंकवाद से प्रेरित इस कुकृत्य का जमकर विरोध करना शुरू किया और फ़्रांस की सरकार ने इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त क़दम उठाने शुरू किए तो हमेशा की तरह इस्लामी आतंकवादी घटनाओं पर शुतुर्मुगी ख़ामोशी ओढ़कर बैठ जाने वाली वैश्विक इस्लामी जमात उनके विरोध में उतर आई।
भारत सहित पूरे विश्व में शताब्दियों से हिंदुओं एवं अन्य ग़ैर-इस्लामी मतावलंबियों की धार्मिक भावनाओं को क़दम-क़दम पर अपमानित करने के लिए इक-तरफ़ा ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ नामक ‘इस्लामी रसूलास्त्र अल-तकिया’ का इस्तेमाल करने वाली बेशर्म इस्लामी जमात- अफ़ग़ानिस्तान, तुर्की, इज़रायल, सीरिया एवं आर्यावर्त सहित विश्व के तमाम देशों में क्रमशः बामियान बुद्ध-प्रतिमाएं, हागिया सोफ़िया चर्च, जेरुसलम सोलोमन सिनेगॉग, पलमायरा मंदिर एवं अयोध्या-मथुरा-काशी के हिंदू मंदिरों को ध्वस्त अथवा अवैध रूप से कब्ज़ियाने के बाद भी एवं भारत माता समेत तमाम हिंदू देवी-देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाकर विश्व के हिंदुओं की भावनाएं आहत करने वाले पेंटर मक़बूल फ़िदा हुसैन से लेकर पी० के० जैसी घोर हिंदू-विरोधी फ़िल्में बनाने वाले बॉलीवुड के कुख्यात जिहादी मोहम्मद आमिर ख़ान की जिहादी प्रवृत्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन प्रदान कर अपने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ नामक तथाकथित नरेटिव का प्रयोग करती रही परंतु जैसे ही पीड़ित पक्षों ने ‘इन्नोसेंस ऑफ़ मुस्लिम्स’, ‘चार्ली हेब्दो’ एवं पैग़म्बरी कार्टून्स का प्रदर्शन करके अपनी ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के अधिकार का प्रयोग करना चाहा तो इस धूर्त इस्लामी जमात को तुरंत ही अपनी ‘धार्मिक भावनाओं के सम्मान’ का ख़याल याद आने लगा!
मार्च 2020 में भारत में कोरोना-आपदा में मुख्य षड्यंत्रकर्ता की भूमिका में प्रकाश में आने के पश्चात भले ही ऊपर से इस इस्लामी संगठन तब्लीगी जमात की गतिविधियां दृष्टिगोचर न हो रही हों परंतु अंदरख़ाने ये जमात पूर्ववत तरीक़े से अपना कार्य कर रही है। फ़्रांस में हुए आतंकी हमले में भी मुख्य साज़िशकर्ता इसी तब्लीगी जमात से सम्बन्ध रखने वाले पाए गए हैं। मौजूदा समय में ये तब्लीगी जमात आलमी-ख़लीफ़ा बनने का ख़्वाब देख रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेसप तैय्यप एर्दोगन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। पाकिस्तानी तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना मोहम्मद तारिक़ जमील और तब्लीगी सदस्य शाहिद अफ़रीदी के क्रमशः शागिर्द एवं मित्र रहे बॉलीवुड जिहादी एवं लव-जिहादी मोहम्मद आमिर ख़ान, अगस्त 2020 में जमात से सम्बन्धित एक विशेष अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक भेंट करने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेसप तैय्यप एर्दोगन एवं उनकी पत्नी एमीन एर्दोगन से मिले थे। सनद रहे कि फ़रवरी 2020 में भारत की राजधानी दिल्ली में हुए इस्लामी दंगों में भी तुर्की एवं तब्लीगी जमात की मिलीभगत का खुलासा हुआ था।
मौजूदा समय में भी तुर्की वैश्विक इस्लामी आतंकवाद को बढ़ावा देते हुए आतंकवाद से पीड़ित देशों के ख़िलाफ़ एवं आतंकवादियों के पक्ष में खड़ा होकर अपने चिर-परिचित पुराने आतंकवादी चरित्र का पुनः उन्मुक्त प्रदर्शन कर रहा है। तब्लीगी जमात की वैचारिक सहयोगी रही भारत की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ भी अपने तुच्छ राजनैतिक स्वार्थों एवं निजी हितों की पूर्ति के लिए भारत एवं भारत के नागरिकों के साथ-साथ पूरी मानवता के साथ भयंकर घात कर रही है।
कल दिनांक 29 अक्टूबर, 2020 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं वर्तमान विधायक मोहम्मद आरिफ़ मसूद ने इस्लामी आतंकवाद से पीड़ित यूरोपीय देश फ़्रांस का समर्थन करने के स्थान पर बेहद शर्मनाक तरीक़े से फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ ज़हरीली बयानबाज़ी करते हुए इस्लामी आतंकवादियों की हौसला अफ़ज़ाई की।
सर्वप्रथम तो यह बात ही विचारणीय है कि कोरोना-आपदाकाल में भोपाल के इक़बाल मैदान में हुई इस विशाल इस्लामी जनसभा का आयोजन करने के लिए आयोजकों को शासन-प्रशासन से कैसे अनुमति प्राप्त हुई? दूसरी बात यह कि जब भारत सरकार अपने रणनीतिक सहयोगी फ़्रांस को आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपना पूर्ण-समर्थन प्रदान कर रही है तो उसके बाद भी मध्य प्रदेश के शासन-प्रशासन ने भोपाल में हुई इस फ्रांस-विरोधी व आतंकवाद-समर्थक विशाल इस्लामी-कांग्रेसी जनसभा को किस प्रकार आयोजित होने दिया?
कुल-मिलाकर भोपाल में विधायक मोहम्मद आरिफ़ मसूद ने जिस शर्मनाक तरीक़े से इस्लामी आतंकवाद को अपना खुल्लम-खुल्ला समर्थन प्रदान करते हुए आतंकवाद पीड़ित देशों का मखौल उड़ाया है, वह न केवल कठोर शब्दों में निंदनीय है बल्कि दंडनीय भी है। इसके लिए हम भारत सरकार से उनके ख़िलाफ़ सख़्त क़ानूनी कार्यवाही की मांग करते हैं।
शलोॐ…!