‘मोहम्मद’: सैयद वसीम रिज़वी द्वारा औरतख़ोर रसूल की बेहयाई का पोस्टमार्टम…

babaisraeli.com Mohammad by Syed Waseem Rizvi 1

दुनिया में इस्लाम के अलावा किसी और कारण से इतना ख़ून नहीं बहा है जितना कि इस्लामिक कट्टरवाद ने बहा दिया। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक़ पिछले 800 सालों में अकेले भारत में ही इस्लाम की तलवार से 8 करोड़ से अधिक हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया। फ्रांस, मिस्र और कई देशों में भी जहां इन लुटेरे मुसलमानों का आक्रमण हुआ, वहां लाखों लोगों को काट डाला गया और बेहिसाब संख्या में औरतों के साथ बलात्कार हुए। ग़ैर-मुसलमानों के सामूहिक क़त्ल का यह सिलसिला उस वक़्त तो चला ही बल्कि उसके बाद भी यह सदियों तक चलता रहा और आज भी अनवरत जारी है।

मुहम्मद के कुकर्मों के कारण उसकी आलोचना सातवीं शताब्दी में ही शुरु हो गयी थी जब उसने एकेश्वरवाद के पक्ष में प्रचार करना शुरू किया था। उस समय अरब की तत्कालीन यहूदी जन-जातियों ने उसकी यह कहकर आलोचना की थी कि मुहम्मद ने बाइबिल के आख्यानों और व्यक्तित्वों का अनावश्यक रूप से अपना लिया और बग़ैर किसी चमत्कार के प्रदर्शन के ख़ुद को अंतिम पैग़ंबर घोषित कर दिया। हिब्रू बाइबिल में ईश्वर द्वारा चुने गए सच्चे पैग़ंबर और झूठे दावेदार के बीच के अंतर पर भी मुहम्मद ख़रा नहीं उतरता। इन्हीं सब कारणों से यहूदी लोग मुहम्मद को ‘हा-मेशुगा’ (הא-משוגה)अर्थात ‘पागल’ कहकर बुलाने लगे।

मध्य-युग में विभिन्न पश्चिमी और बीजान्टिन ईसाई विचारक मुहम्मद को विकृत, दुराचारी, झूठा पैग़ंबर और यहां तक कि ईसा-विरोधी मानते थे। ईसाई जगत में उसे अक्सर एक विधर्मी एवं शैतान के जाल में फंसा हुआ जीव माना जाता था। उनमें से थॉमस एक्विनास आदि कुछ विचारकों ने मुहम्मद की इस बात के लिए आलोचना भी की थी कि उसने अपने अनुयाई मुसलमानों से उनके मरने के बाद तथाकथित जन्नत में यौन-आनंद मिलने का वादा किया।

आधुनिक काल में मोहम्मद के आलोचक उसके स्वयं को पैग़ंबर घोषित करने को लेकर उसकी सच्चाई पर संदेह करते हैं। इसी प्रकार आधुनिक विचारक उसकी नैतिकता पर भी शंका करते हैं। उसके द्वारा अपने अधिकार में ग़ुलाम रखने की आलोचना तो होती ही है, शत्रुओं के साथ मुहम्मद द्वारा किए गए निंदनीय व्यवहार की आलोचना भी की जाती है। उसकी अनगिनत शादियों की आलोचना और निंदा का तो कोई पार ही नहीं है कि वह किस प्रकार से पर-पीड़न-रति अर्थात स्त्रियों को पीड़ा देकर उनसे काम-सुख भोगने की अनुभूति करने एवं दूसरों की स्त्रियों के प्रति अत्यंत ही निर्दयता बरतने वाला ज़ालिम जीव था। बहुत से लोग उसको मानसिक रूप से बीमार भी माना करते हैं क्योंकि जिस प्रकार से उसका चरित्र रहा है, वह किसी भी साधारण व्यक्ति का चरित्र हो ही नहीं सकता।

उसके चरित्र के विषय में जानने के लिए मदीना में बानू-क़ुरैज़ा नामक एक यहूदी क़बीले पर आक्रमण के समय उसकी निर्दयता का एक ज्वलंत उदाहरण देखा जा सकता है। इसके अलावा ग़ुलामों के साथ लैंगिक-संबंध स्थापित करने (संभोग करने), मात्र 6 वर्ष की मासूम बच्ची आयशा के साथ बलात निकाह करने और 9 वर्ष की आयु में ही उसके साथ सहवास (बलात्कार) करने जैसे निकृष्ट कार्यों को अंजाम देने के कारण भी मोहम्मद को लोग बेहद हिकारत भरी नज़रों से देखते हैं।

अरब के रेगिस्तान में क़बीलों की आपसी लड़ाई में मोहम्मद नामक मानसिक बीमार व्यक्ति ने एक काल्पनिक शक्ति को अल्लाह का नाम देते हुए इस्लाम नामक तथाकथित मज़हब को स्थापित किया। मोहम्मद की मृत्यु के बाद इस्लाम के क्रूर ख़लीफ़ाओं ने तलवार के दम पर लोगों के गले काट कर इस्लाम को ज़बरन पूरी दुनिया में फैलाया। इसीलिए आज इस्लाम दुनिया में एक बड़ा गिरोह बन कर समस्त मानवता के लिए एक बहुत बड़ा ख़तरा बन चुका है।

मोहम्मद को जानना इसलिए भी बहुत ज़रूरी है कि दुनिया के अरबों मुसलमान दिन-रात मोहम्मद बनने की कोशिशों में लगे रहते हैं और जो मोहम्मद किया करता था, उसे सुन्नत कहकर अपने जीवन में शामिल करने की कोशिश करते हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि मज़हब के नाम पर मुसलमानों में एक अजीब तरह का पागलपन पैदा हो गया है जो कि संपूर्ण मानवता के लिए एक गंभीर ख़तरा बनकर खड़ा हो चुका है। दुनिया में रहने वाले हर पांच व्यक्तियों में से एक व्यक्ति मुसलमान है जो कि मानसिक रूप से बीमार है। वह मोहम्मद को अल्लाह का संदेशवाहक यानी कि पैग़ंबर मानकर उसका अनुसरण कर रहा है। शायद यही कारण है कि वह मोहम्मद की सुन्नत पर चलते हुए लगातार आत्मघाती हमले और ग़ैर-मुस्लिमों का नरसंहार कर रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि मोहम्मद का वह अंधभक्त अपनी जान की परवाह किए बग़ैर दूसरे मनुष्यों की हत्या केवल इसलिए करता है ताकि वह जन्नत में ऊंचा मक़ाम हासिल करके जमकर औरतख़ोरी और अय्याशी कर सके। इस कार्य में यदि उसकी स्वयं की जान भी चली जाती है, तो भी वह स्वयं को अल्लाह और रसूल का नेक बंदा समझते हुए इसे शहादत की बात मानता है।

यह पुस्तक ख़ासकर मुसलमानों के लिए ही लिखी गई है ताकि वे अपने पैग़ंबर के असली चरित्र को जान और पहचान सकें। उन्हें यह पता चले कि मोहम्मद नामक एक लुटेरे गिरोह का सरदार किस प्रकार से दिन-रात सामूहिक नरसंहार करने, बच्चों का बलात्कार करने और अनेक पीड़ित महिलाओं के साथ यौन-संबंध स्थापित करने वाला एक नीच-ग़लीच औरतख़ोर जीव था। हालांकि मोहम्मद की शान में और भी बहुत कुछ तारीफ़ें की जा सकती हैं लेकिन मुसलमानों के साथ समस्या यह है कि वे बग़ैर तथ्यों पर बात किए हुए हर बात को सिरे से ख़ारिज कर देते हैं और एक बग़ैर दिमाग़ वाले रोबोट की तरह इस्लाम की हर बकवास पर भरोसा करते रहते हैं।

जब तक मुसलमान मोहम्मद और उसके द्वारा बनाए गए काल्पनिक अल्लाह पर विश्वास रखेंगे और मोहम्मद द्वारा अल्लाह का संदेश घोषित की गई पुस्तक ‘क़ुरआन मजीद’ को अल्लाह की किताब मानकर पढ़ेंगे, तब तक इस दुनिया में हर उस मनुष्य के लिए जो किसी दूसरे मत को मानता है, इस्लामी ख़तरा बना रहेगा। अतः मुसलमानों और ग़ैर-मुसलमानों- दोनों के लिए मोहम्मद के चरित्र को जानना और समझना बहुत ज़रूरी है। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य भी यही है कि मुसलमान और ग़ैर-मुसलमान, मानवता को दृष्टि में रखते हुए सही और ग़लत का फ़ैसला खुद से करें। हो सकता है आज या आज से सौ-दो सौ साल बाद अपने को मुसलमान कहने वाले लोग अपने अंदर झांक कर कहीं कोने में दफ़्न हो चुकी ‘मानवता’ नामक वस्तु को ढूंढें और मोहम्मद द्वारा स्थापित किए गए इस क्रूर ‘इस्लाम’ नामक कलंक को छोड़कर ‘इंसानियत’ की आत्मा को धारण करें।

विशेष: उपरोक्त बौद्धिक अंश प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान ‘सैयद वसीम रिज़वी’ की ताज़ा-तरीन किताब ‘मोहम्मद’ से उद्धृत है। यह पुस्तक मोहम्मद और उसके मुसलमान अनुयायियों की मानसिकताओं एवं उनके द्वारा ग़ैर-मुसलमानों के ऊपर किए गए निर्मम अत्याचारों के बारे में बेख़ौफ़ होकर हाहाकारी ख़ुलासे करती है। मोहम्मद और उनके धूर्त गिरोह ने पिछले 1,400 वर्षों से अधिक समय में जिस कुत्सित-मानसिकता के कारण मानवता के विरुद्ध असंख्य अपराध किए हैं, इस पुस्तक के माध्यम से उनके बारे में एक अति-संक्षिप्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस पुस्तक को आप टीम बाबा इज़रायली द्वारा विकसित किए जा रहे ‘ई-पुस्तकालय‘ में जाकर पढ़ सकते हैं। आने वाले समय में आपको हमारे इस ई-पुस्तकालय में हिंदू-चेतना से जुड़ा हुआ दुर्लभ हिंदू-साहित्य प्राप्त होगा।

‘मोहम्मद’ का लिंक:

शलोॐ…!