फ़रवरी 2017 में उत्तर प्रदेश में नमाज़वादी पार्टी की सरकार थी। चुनाव आयोग द्वारा अगले ही माह यानी कि मार्च 2017 में विधानसभा चुनावों को आयोजित करवाए जाने की घोषणा की जा चुकी थी। प्रदेश में विभिन्न पार्टियों के द्वारा विधानसभा चुनाव हेतु रैलियां आयोजित की जा रही थीं। इन्हीं रैलियों में से एक रैली नमाज़वादी पार्टी की रैली भी थी जो कि जौनपुर ज़िले में आयोजित की गई थी। इस रैली को संबोधित करने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी श्रीमती डिंपल यादव पहुंची थीं लेकिन इस रैली में उनके साथ उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा जो शर्मनाक सलूक किया गया था, उसे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लोगों ने देखा था।
नमाज़वादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और नमाज़वादी पार्टी की तत्कालीन सांसद श्रीमती डिंपल यादव की जौनपुर रैली के दौरान गुंडे-लफंगे एवं बलात्कारी नमाज़वादी कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल मचाया था। नमाज़वादी पार्टी के ये गुंडे-लफंगे और बलात्कारी कार्यकर्ता डिंपल यादव के साथ सेल्फी लेने और वीडियो बनाने के लिए इस क़दर बेचैन होकर अनियंत्रित हो गए थे कि डिंपल यादव को वहां पर ‘डर’ लगने लगा था।
उस रैली में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘अति उत्तेजित’ होते देखकर डिंपल यादव बहुत ही घबरा गई थीं और रैली के मंच से ही उनके मुंह से यह निकल गया था कि उन्हें ‘डर’ लग रहा है। इसके बाद डिंपल यादव ने अखिलेश यादव से शिकायत करने की बात कहकर अपनी पार्टी के लफंगे कार्यकर्ताओं को शांत करवाने की कोशिश की लेकिन वे उसमें पूरी तरह से असफल रहीं। डिंपल यादव ने मंच से अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि आप चिल्लाते हो, मुझे डर लगता है… प्लीज़ शांत शांत…! कल अखिलेश भैया आ रहे हैं… तब… बस तुम्हारा ही नाम बताने वाली हूं। अच्छा कमाल है… मतलब हां… कहां से ट्रेनिंग पाई है। अनुशासन में नहीं है आप। बहुत बुरी बात है।
डिंपल यादव के द्वारा इतनी अनुनय-विनय करने के पश्चात भी उनकी पार्टी के लफंगे कार्यकर्ताओं ने उनकी किसी भी बात के ऊपर ध्यान नहीं दिया और वे पूरी सभा के दौरान लुच्चई-लफंगई करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी का अपनी कामुक नज़रों से शील-भंग करते रहे। जब डिंपल यादव की रैली में हंगामा होने का मामला उनके पतिदेव यानी कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पहुंचा तो उन्होंने अपनी पार्टी के लफंगे कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करने के स्थान पर अपनी ही पत्नी डिंपल यादव से इस मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की बात कही। उसके बाद जब एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बड़ी बेशर्मी के साथ हंसते हुए जवाब दिया कि देवरों की भाभी ने अपने देवरों को डांट दिया तो क्या हुआ?
इस घटना के बाद सोशल मीडिया के ऊपर बवाल मच गया। उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश की जनता यह प्रश्न उठाने लगी कि जब उत्तर प्रदेश में वहां के मुख्यमंत्री की पत्नी ही सुरक्षित नहीं है तो फिर प्रदेश की बाकी जनता का क्या हाल होगा? उपसाना गाबा नामक एक महिला ने ट्विटर पर लिखा कि जब यूपी के सीएम की पत्नी डिंपल यादव अपने सपा समर्थकों के बीच ही सुरक्षित महसूस नहीं करतीं हैं तो कल्पना कीजिए एक असुरक्षित आम महिला कैसा महसूस करती होगी? ट्विटर पर ही एक दूसरे व्यक्ति संकेत दक्ष ने लिखा कि अगर तुम लोग गुंडे टाइप कार्यकर्ताओं से डिंपल भाभी को सुरक्षा नहीं दे सकते तो यूपी की मां-बहन-बेटियों की सुरक्षा कैसे करोगे? साथ ही दूसरे ट्वीट में संकेत ने लिखा कि तुम लोगों से डिंपल भाभी की सुरक्षा तो हुई नहीं, यूपी की मां-बहन-बेटियों की सुरक्षा क्या ख़ाक करोगे?
एक अन्य व्यक्ति पन्ना लाल ने इस घटना के विषय में लिखते हुए कहा कि जब घर के मुखिया कहेंगे कि लड़कों से ग़लती हो जाती है तो घर की बेटी से लड़के ऐसा ही व्यवहार करेंगे! डिंपल यादव जी को ये बात समझ लेनी चाहिए। विनोद सिंह नामक एक व्यक्ति ने ट्विटर पर लिखा कि नहीं सहेंगे डिंपल भाभी से छेड़छाड़, अबकी बार मोदी सरकार। सचिन वाजपेयी का कहना था कि भाभी जी बस कुछ दिन की बात और है फिर भाजपा के राज में आप को डर नहीं लगेगा। निशांत श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति ने लिखा कि बेचारी डिंपल भौजी की समस्या ये है कि वो शिकायत भी नहीं कर सकतीं!
आज बाबा इज़रायली इस बात को देखकर बड़े ही आश्चर्यचकित हैं कि अपनी ही सरकार में अपने ही कार्यकर्ताओं के बीच असुरक्षित महसूस करने वाली डिंपल यादव नामक यह कुटिल एवं धूर्त नमाज़वादी ख़ातून, सनातन धर्म के त्याग के प्रतीक ‘भगवा रंग’ पर छींटाकशी करते हुए उसे ‘लोहे में लगी हुई जंग’ बता रही है। ऐसा करके यह ख़ातून महंत योगी आदित्यनाथ के कपड़ों समेत समस्त संत समाज एवं सनातन धर्म पर हमला कर रही है। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि यह मक्कार ख़ातून इस बात को भी स्वीकार नहीं कर रही है कि नमाज़वादी हुकूमत के विपरीत आज यह प्रदेश में किसी भी प्रकार की असुरक्षा की भावना से रहित होकर चुनावी रैलियों में शिरकत कर पा रही है और इसे किसी भी प्रकार का कोई ‘डर’ नहीं लग रहा है।
नमाज़वादी हुकूमत के दौरान यह ख़ातून तो स्वयं छेड़छाड़ जैसे अपराधों से पीड़ित रही थी! अतः कम से कम इसे तो जनता से योगी बाबा को दोबारा से सत्ता में लाने की अपील करनी चाहिए थी परंतु कितने शर्म की बात है कि इस बेशर्म ख़ातून को उत्तर प्रदेश में क़ायम हुआ सुशासन रास नहीं आ रहा है! शायद ऐसा प्रतीत होता है कि वर्षों तक नमाज़वादी नाले में लोटते-लोटते इस ख़ातून की मनःस्थिति एक ‘जंतु-विशेष’ की तरह हो गई है जिस कारण से यह प्रदेश में स्थापित सु-शासन को नष्ट करने के लिए जनता से ‘जंग के रंग’ यानी कि भगवा कपड़ों को पहनने वाले योगी आदित्यनाथ की शानदार सरकार को हटाकर, वर्ष 2017 से पहले के ‘जंगलराज’ को वापस लाने की अपील कर रही है।
शलोॐ…!