बरेली के हिंदूद्रोही चिकित्सक डॉ० राजेश कुमार की हिंदूद्रोहिता का इज़रायली X-रे टेस्ट…

babaisraeli.com20201102w34

एक पुरानी कहावत है कि वीरों के दासों तक को पूजा जाता है जबकि कायरों के भगवान भी अपमानित होते हैं। शायद यही कारण है कि आज विश्व में कहीं भी हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का भी कोई मूल्य एवं सम्मान नहीं है। हिंदुओं की नपुंसक मानसिक, सामाजिक एवं वैचारिक स्थितियों के परिणामस्वरूप विश्व में जो कोई भी सनातन-विरोधी चाहता है, वह हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को अपने पैरों तले कुचलकर अट्टहास करता हुआ विजयी मुद्रा में साफ़ बचकर निकल लिया करता है।

ऐसे ही हिंदूद्रोही तत्वों में एक नाम बरेली के तथाकथित वरिष्ठ-चिकित्सक एवं IMA-बरेली के पूर्व अध्यक्ष रहे डॉ० राजेश कुमार का भी आता है जिनकी सनातन-विरोधी एवं सेकुलर मानसिकता पिछले काफ़ी समय से मौक़ा देखते ही उपरोक्त वर्णित सिद्धांत का अक्षरशः अनुसरण करते हुए नीच, नालायक, कायर, धर्मच्युत एवं आत्मसम्मान से रहित हिंदुओं के कान पर हरहरा कंटाप मारकर एवं उनकी धार्मिक भावनाओं को अपने जूतों से कुचलकर अपनी आसुरी शक्ति का बड़ी ही बेहूदगी से नग्न-प्रदर्शन करती रही है।

उदाहरण के लिए दिनांक 01 नवंबर, 2020 को अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में इन्हीं डॉ० राजेश कुमार ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत करते हुए लिखा कि सत्संग में बाबा प्रवचन दे रहे थे कि जो तुम्हारे पास है, यहीं रह जाएगा, यह सुनते ही मैंने पहले अपना पर्स संभाला और बाहर जाकर चप्पल! इतना ही नहीं बल्कि डॉ० राकेश कुमार ने इन हिंदूद्रोही शब्दों को लिखते हुए बैकग्राउंड में हिंदुओं को चिढ़ाने वाली फ़ेसबुक बैकग्राउंड का भी प्रयोग किया। इसके अलावा पहले भी दिनांक 16 सितंबर, 2020 को डॉ० राजेश कुमार ने अपनी इसी हिंदू-विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए लिखा था कि भंडारे में खाना खाने के लिए अपना N-95 मास्क उतार कर रखा ही था कि किसी ने दोना समझकर रायता डाल दिया!

डॉ० राजेश कुमार की उपरोक्त पोस्ट्स को देखकर यह सार्वभौमिक सत्य एक बार पुनः सही सिद्ध हो जाता है कि मात्र साक्षर एवं डिग्री-धारी होने भर से ही किसी व्यक्ति को शिक्षित नहीं माना जाता सकता है। सही मायनों में शिक्षित होने के लिए व्यक्ति को समग्र रूप से सांस्कृतिक, सामाजिक, वैचारिक, मानसिक एवं धार्मिक रूप से संवेदनशील होना पड़ता है। आज के समय में विश्व में यहूदी क़ौम को सबसे अधिक आधुनिक माना जाता है। यहूदियों की आधुनिकता का आलम कुछ-कुछ ऐसा है कि उनके सामने पश्चिम के यूरोपीय एवं अमेरिकी देश भी कहीं नहीं ठहरते हैं। इन समस्त बातों के इतर लेकिन जब कभी-भी बात यहूदी धर्म और यहूदी अस्मिता की आती है तो किसी की क्या मज़ाल जो आधुनिकता अथवा फूहड़ता के नाम पर उनके किसी भी धार्मिक प्रतीक पर कोई प्रश्न-चिह्न अथवा टिप्पड़ी करने का साहस भी जुटा सके!

उनका पिछले 72 वर्षों का इतिहास गवाह है यदि किसी ने ग़लती से भी ऐसा करने की ज़ुर्रत की तो उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ी। अपने वैचारिक विरोधियों को नेस्तनाबूत करने के लिए प्रसिद्ध यहूदी स्प्रिरिट ‘किलिंग-मशीन’ बनकर उनके ऊपर टूट पड़ी और उसने उन्हें समूल नष्ट करने में पलक झपकने की भी देर नहीं लगाई। शायद यही कारण है कि अपने पूर्व प्रताड़ित-इतिहास से सबक़ लेकर यहूदी समुदाय ने ‘नेवर-अगेन’ नामक मंत्र को सदा-सदा के लिए आत्मसात करके अपने अस्तित्व के लिए ख़तरनाक प्रतीत होने वाले अपने समस्त ‘एंटी-सेमेटिक विरोधियों’ को ठिकाने लगाना- अपना सार्वकालिक पसंदीदा शौक़ बना लिया।

कुल-मिलाकर इस पूरी चर्चा का लब्बो-लुआब यह है कि हिंदुओं की नपुंसकता एवं कायरता के चलते ही डॉ० राजेश कुमार जैसे तमाम हिंदूद्रोही तत्व अपने सनातन-विरोधी नरेटिव को गढ़ते हुए हिंदू संतों को चोर-लुटेरा दिखाने और पवित्र-भंडारे के प्रसाद को बेहद सस्ती एवं भौंडी लफ़्फ़ाज़ी के साथ उपहासित करने में सफल होते हैं अन्यथा इनकी कायरता का आलम कुछ-कुछ ऐसा है कि अन्य मतों को मानने वाले अनुयायियों, उनके आलिमों अथवा मज़हबी प्रतीकों के विषय में एक शब्द तक लिखने के विषय में सोचकर ही इनकी पतलून गीली और ढीली हो जाया करती है।

फ़िलहाल, अपने ख़िलाफ़ उग्र होती हिंदू-जनभावनाओं से घबराकर धर्मद्रोही डॉ० राजेश कुमार ने अपनी फ़ेसबुक-वॉल से सम्बंधित हिंदू-विरोधी पोस्ट्स को डिलीट कर दिया है परंतु इस आलेख को लिखे जाने तक उन्होंने अपने सनातन-विरोधी कृत्यों के लिए क्षमा नहीं मांगी है। उनके इस हठी बर्ताव को देखते हुए सनातनी हिंदू समाज ने भी ये प्रण लिया है कि उनके द्वारा डॉ० राजेश कुमार का विरोध तब तक जारी रखा जाएगा जब तक कि वह अपने पूर्व हिंदूद्रोही घृणित कार्यों के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा नहीं मांगते। बरेली के हिन्दुओं का कहना है कि डॉ० राजेश कुमार के द्वारा क्षमा मांगने में अधिक विलम्ब करने की स्थिति में उनके ख़िलाफ़ बड़ा आन्दोलन शुरू किया जाएगा।

अपने मज़हब और उससे जुड़े कार्यों के प्रति किस स्तर तक निष्ठावान हुआ जा सकता है, इसे जानने के लिए यदि डॉ० राजेश कुमार ने भारत के ही अपने हमपेशेवर शख़्स- गोरखपुर के बी०आर०डी० अस्पताल के डॉक्टर मोहम्मद कफ़ील के बारे में ज़रा-सा भी अध्ययन किया होता तो शायद आज डॉ० राजेश कुमार अपने समाज के द्वारा धिक्कार और दुत्कार के स्थान पर उससे असीम मान व सम्मान प्राप्त कर रहे होते !

हमारी तरफ़ से भी इस हिंदू-विरोधी हरकत पर फ़ौरी संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के शासन-प्रशासन से डॉ० राजेश कुमार पर शीघ्रातिशीघ्र क़ानूनी-कार्यवाही करने की मांग की गई है। साथ ही हम सरकार से ये भी मांग करते हैं कि वह इस प्रकार की हिंदू-विरोधी मानसिकताओं के दीर्घकालीन शोधन के लिए जल्द ही एक स्पष्ट-नीति का सृजन करे ताकि डॉ० राजेश कुमार जैसे हिंदूद्रोही तत्व हिंदू-भावनाओं एवं हिंदू-अस्मिता पर कोई भी टिप्पड़ी करने से पहले कम से कम हज़ार बार अवश्य सोचें।

शलोॐ…!