भारतीय सैन्य-अधिकारियों की अदूरदर्शिता का एक ताज़ा उदाहरण…

babaisraeli.com20201207656

अभी-अभी यह बात संज्ञान में आई है कि पाक अधिकृत कश्मीर की कहुटा तहसील के अब्बासपुर गांव की निवासी दो नाबालिग बहनें लाएबा ज़बैर (17) तथा उसकी छोटी बहन सना ज़बैर रविवार को ‘ग़लती से’ (???) पुंछ ज़िले के खारी सेक्टर में सरला पोस्ट के पास से भारतीय सीमा में घुस आई थीं। उसके बाद भारतीय सेना ने उनसे पूछताछ करने के बाद सोमवार को उन्हें तोहफ़े देकर (???) पुंछ के चकन दा बाग क्रॉसिंग प्वाइंट से वापस उनके देश पाकिस्तान भेज दिया।

अब यहां पर यह प्रश्न खड़ा होता है कि इस बात की क्या गारंटी है कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने इन दोनों नाबालिग बहनों को जासूस बनाकर भारतीय सीमा में नहीं भेजा होगा? दूसरी बात यह कि भारत प्रशासित कश्मीर एवं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की सीमा कोई सड़क का चौराहा नहीं है जिस पर टहलते हुए कोई व्यक्ति ग़लती से इधर से उधर चला जाए!

यदि ये दोनों बहनें एलओसी को पार करके भारत प्रशासित कश्मीर में दाखिल हुई थीं तो इसके पीछे कोई न कोई षड्यंत्र अवश्य रहा होगा। संभवतः पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के द्वारा इन्हें भारतीय क्षेत्र में जासूसी करने के लिए भेजा गया होगा क्योंकि आईएसआई इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि यदि ये लड़कियां पकड़ी भी गईं तो भी भारतीय सेना अपनी तथाकथित दरियादिली दिखाते हुए इन्हें सुरक्षित पाकिस्तान भेज देगी।

वैसे इस मामले में हमारी इज़रायली नीति यह कहती है कि भले ही ये दोनों बहनें ग़लती से (जिसकी संभावना शून्य है) भारत प्रशासित कश्मीर में दाख़िल हुई थीं परंतु उसके बाद भी भारत को इन्हें जासूस घोषित करने का सुनहरा अवसर बिल्कुल भी नहीं गंवाना चाहिए था। पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से शिकस्त देने का यह एक ऐसा स्वर्णिम अवसर था जिसका कि भारत लाभ नहीं उठा सका। भारतीय सेना के अधिकारियों को चाहिए था कि वे इन बहनों को जासूस बताकर गिरफ़्तार करते और भविष्य में इन्हें पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से पाकिस्तानी जेल में बंद कुलभूषण जाधव जैसे निर्दोष भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए पाकिस्तान के साथ डील में प्रयोग करते।

पाकिस्तान ने तो ईरान के चाबाहर से कुलभूषण जाधव को अगवा करके भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया और हमने अपनी सीमा के अंदर आई हुई पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की दो संदिग्ध जासूस बहनों को तोहफ़े देकर वापस पाकिस्तान भेज दिया! वाक़ई में यदि कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो पृथ्वीराज चौहान के समय से लेकर आज तक कूटनीतिक स्तर पर हम अधिकतर हर जगह पर फ़ेल ही रहे हैं।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों एवं भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों एवं नेताओं को इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करते हुए संबंधित सैन्य-अधिकारियों को बर्खास्त करते हुए उनके द्वारा इन दोनों संदिग्ध जासूस बहनों को पाकिस्तान को सौंपने के निर्णय की फ़ौरन जांच करवानी चाहिए।

शलोॐ…!