बरेली: माथे पर चंदन का तिलक लगाकर मोहम्मद बिलाल ने दिया लव-जिहाद को अंजाम !

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संस्कारविहीन अधार्मिक शिक्षा, तथाकथित स्वतंत्रता, भौंडी आधुनिकता, फैमिनिज़्म का वामपंथी नरेटिव एवं नाबालिग़ बच्चों के द्वारा मोबाइल, टैबलेट व इंटरनेट जैसी सूचना-प्रौद्यिगिकी एवं उससे जुड़ी वस्तुओं एवं उत्पादों के अनियंत्रित प्रयोग पर घर के ज़िम्मेदार लोगों का मौन समर्थन व बढ़ावा किस प्रकार हिंदू-समाज एवं परिवारों को ध्वस्त कर रहा है, इस चीज़ की बानगी को देखने के लिए कृपया निम्नलिखित घटना के विषय में बहुत क़रीब से जानने का प्रयास करें-

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बरेली शहर से एक बहुत ही दिल दहलाने वाला समाचार प्राप्त हो रहा है। समाचार के मुताबिक़ बरेली के ही रहने वाले एवं दूध डेयरी चलाने वाले एक शांतिदूत युवक मोहम्मद बिलाल ने एक नाबालिग़ हिंदू युवती को पिछले काफी समय से अपने प्रेम जाल में फांस कर रखा हुआ था। यह मोहम्मद बिलाल नामक शातिर लव-जिहादी शांतिदूत युवक, एक हिंदू युवक के रूप में उस युवती के संपर्क में आया था। शातिर शांतिदूत युवक मोहम्मद बिलाल ने अपने हाथों पर कलावा बांधकर, माथे पर चंदन का तिलक लगाकर एवं तकिया-कलाम के रूप में हिंदू देवी-देवताओं के नामों का उच्चारण करने जैसे अल-तकिया रूपी इस्लामी जेहादी-अस्त्रों का प्रयोग करके युवती के समक्ष स्वयं को एक सनातनी हिंदू युवक के रूप में पेश किया था।

प्राप्त समाचारों के मुताबिक  दिनांक 14 अक्टूबर, 2020 को यह शातिर शांतिदूत लव-जिहादी युवक मोहम्मद बिलाल उक्त नाबालिक हिंदू युवती को उसके पिता के घर से भगाकर ले गया। इतना ही नहीं, युवती को भगाने से पहले मोहम्मद बिलाल ने उसके घर में रखे गए आठ लाख रुपयों एवं मां के गहनों इत्यादि को भी माल-ए-ग़नीमत के रूप में लूटकर साथ ले चलने के लिए राज़ी कर लिया।

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युवती के ग़ायब हो जाने के बाद जब उसके घोर सेकुलर एवं लापरवाह परिवारीजनों को यह पता चला कि भारत की तथाकथित ऐतिहासिक सेकुलरी एवं भाईचारे वाली गंगा-जमुनी तहज़ीब का अक्षरशः पालन करते हुए शांतिदूत लव-जिहादी मोहम्मद बिलाल ने इस लव-जिहाद की हाहाकारी घटना को अंजाम दिया है तो उसके बाद युवती के परिवारीजनों के सर से सेकुलरिज़्म का भूत चंद मिनटों में ग़ायब हो गया।

फ़िलहाल, उम्मीद है कि निकट भविष्य में उक्त नाबालिक हिंदू युवती जल्द ही अपने नवीन धर्मांतरण प्रमाण-पत्र एवं निकाहनामे के साथ प्रकट होगी और सोशल-मीडिया अथवा न्यायालय में यह बयान देगी कि वह अपनी मर्ज़ी से इस्लाम कबूल करके एक मज़हबी मोमिना बन चुकी है और चूंकि इस्लामी क़ानून के हिसाब से 14 से 15 साल की युवती बालिग़ होती है, इसलिए उसे अपनी मर्ज़ी के साथ निकाह करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसलिए न्यायालय द्वारा उसके पिता की  शिकायत को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। इसके अलावा घर से लूटे गए आठ लाख रुपयों एवं एवं मां के गहनों की दुस्साहसिक लूट का आरोप भी शायद ही कभी युवती पर सिद्ध हो पाए। दूसरी ओर युवती के पिता के पास अपनी अस्मिता एवं कुल के गौरव को बचाकर रखने का शायद ही अब कोई मार्ग शेष बचा हो। हां, अभी भी माँ गंगा कि लहरों में पानी कम नहीं हुआ है और अंत में सभी को उसमें ही जाकर मिलना है…

शलोॐ..!