ग़ज़नवी की भाषा बोलने वाला धर्म-द्रोही राकेश टिकैत हिंदुओं के नाम पर एक कलंक…

babaisraeli.com202012267654

कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत नामक किसानों के एक सर्वमान्य नेता हुआ करते थे जो किसानों के वाजिब मुद्दों को बहुत ही शांतिप्रिय तरीक़े के साथ तत्कालीन सरकारों के समक्ष उठाया करते थे। शांतिप्रिय धरना आयोजनों के द्वारा ‘भारतीय किसान यूनियन’ नामक किसान संगठन के ध्वज तले लंबे समय तक डेरा डालकर सरकारों की नींद उड़ा देने का यह सफ़ल प्रयोग चौधरी साहब की ही देन है जिसे वर्तमान समय में देश-विरोधी तत्वों के द्वारा राष्ट्रीय मुद्दों का विरोध करने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।

15 मई, सन 2011 को लंबी बीमारी के चलते चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के निधन के बाद उनके बड़े बेटे चौधरी नरेश टिकैत को पगड़ी पहनाकर भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी गई। इसके बाद नरेश टिकैत ने अपने पिता के बुनियानी उसूलों के ख़िलाफ़ जाते हुए राजनीति में अपने क़दम जमाने के असफ़ल प्रयास किए। राकेश टिकैत ने वर्ष 2007 मे मुज़फ़्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2014 में भी उन्होंने अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा परंतु इस चुनाव में भी उन्हें शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।

स्व० चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के चार पुत्रों में दूसरे चिरंजीवी पुत्र राकेश टिकैत तथाकथित किसान संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन’ के स्वंभू राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। बीते कुछ वर्षों में इन दोनों भाइयों ने अपने निजी स्वार्थों के वशीभूत होकर अपने पिता की संगठनात्मक फ़सल को काट लेने के उपरांत भारतीय किसान यूनियन को पंगु बनाकर रख दिया है। आज के समय में एक पारिवारिक संगठन बनकर रह गए तथाकथित किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन की हालत इतनी बदतर हो गई है कि आज यह संगठन किसानों के हितों को दरकिनार करके चंद परिवारों के तुच्छ निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु देश-विरोधियों के साथ जाकर खड़ा हो गया है!

वीडियो: हिंदू मंदिरों, संतों, पुजारियों एवं धर्म ध्वजा-रक्षकों पर राकेश टिकैत का शर्मनाक बयान

किसानों के हितों को सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार ने जो नए किसान क़ानून लागू किए हैं, देश-विरोधी खालिस्तानी एवं इस्लामी गैंग्स उन क़ानूनों के विरोध की आड़ में देश को जला देने पर आमादा हैं। दिन-प्रतिदिन देश एवं हिंदू-विरोधी कार्यवाहियों को अंजाम देकर ये गैंग्स किसी भी स्थिति में देश में अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते हैं। इसी श्रंखला में किसानों के तथाकथित हितैषी एवं भारतीय किसान यूनियन के स्वंभू राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्म-द्रोही राकेश टिकैत ने भी हिंदू-द्रोही बयान देकर बहती गंगा में अपने हाथ धो डाले। तथाकथित किसान आंदोलन में तथाकथित किसानों की भीड़ को संबोधित करते हुए तथाकथित किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों के मुद्दों पर बोलते हुए हिंदू-मंदिरों के चढ़ावे और उनकी संपत्तियों पर अपनी गंदी ग़ज़नवी दृष्टि डालते हुए अत्यंत ही शर्मनाक बयान दिए। राकेश टिकैत ने अपने संबोधन में अत्यंत ही अभद्रता के साथ श्री कृष्ण एवं मथुरा नामक शब्दों का प्रयोग करते हुए भविष्य में मंदिरों की लाइनों, चढ़ावों एवं ‘पंडितों’ को देख लेने की खुलेआम धमकी देकर साक्षात हिंदुत्व पर हमला करने का दुस्साहस किया।

राकेश टिकैत के इस हिंदू-द्रोही बयान के बाद एक ओर जहां विश्व का समस्त सनातनी हिंदू समुदाय एक साथ आक्रोश से भर उठा वहीं दूसरी ओर बिकरु, उत्तर प्रदेश के विकास दुबे नामक एक दुर्दांत अपराधी के वध के उपरांत योगी आदित्यनाथ को देख लेने की धमकी देने वाले धूर्त जातिवादी प्यादों को सांप सूंघ गया। कोढ़ बनकर हिंदुत्व का क्षरण कर रहे इन जातिवादी दोगले हिंदुओं ने एक गुंडे-राक्षस के वधोपरांत योगी आदित्यनाथ को देख लेने के स्थान पर यदि राकेश टिकैत जैसे हिंदू-द्रोही असुरों को देख लेने की धमकी दी होती तो शायद ऐसी हिंदू-विरोधी घटनाएं घटित होने से पहले कम से कम सौ बार विचार अवश्य करतीं।

ख़ैर, यह समय एकजुटता का है परंतु ऐसे ही मौक़ों पर अपनी पिछली ग़लतियों से सबक़ लेते हुए हमें आत्म-विवेचन करने का सुअवसर भी प्राप्त होता है। अतः हमें जातिवादी, क्षेत्रवादी, भाषावादी अथवा प्रांतवादी- किसी भी प्रकार की श्रेष्ठतावादी एवं / अथवा अलगाववादी मानसिकता का तत्काल परित्याग करते हुए अपने मंदिरों, संतों, पुजारियों एवं धर्म ध्वजा-रक्षकों जैसी सनातन-संस्थाओं के सम्मान में एकजुट होकर राकेश टिकैत जैसे धर्म-द्रोहियों का कड़ा विरोध करना चाहिए। यही समय की मांग है!

शलोॐ…!