ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी: हथियारों का ज़ख़ीरा इकट्ठा करना…

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ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी की प्रक्रिया में इस्लामी समुदाय द्वारा हथियारों का ज़ख़ीरा इकट्ठा करना एक बेहद अहम अमल है। इसके लिए लगभग हर दबे-छुपे इस्लामी संस्थान में अवैध हथियारों, बमों एवं गोला-बारूदों का निर्माण किया जाता है। इन हथियारों की मदद से काफ़िरों के ऊपर किए जाने वाले हमलों में इस्लामी समुदाय द्वारा काफ़िरीन को अत्यंत ही पीड़ादायक मृत्यु प्रदान की जाती है। यह पीड़ादायक मृत्यु भी सार्वजनिक रूप से प्रदान की जाती है ताकि अन्य काफ़िरीन के ज़हन में जेहादी खौफ़ को क़ायम रखा जा सके। कश्मीर, बंगाल, दिल्ली एवं देश के अन्य हिस्सों में हुए भीषण इस्लामी दंगों में इस बात के साक्षात प्रमाण देखे गए हैं।

चित्र: इस्लामी संस्थानों में बड़े स्तर पर अवैध हथियारों का निर्माण किया जा रहा है

भारत में लगभग-लगभग सभी शांतिदूत बस्तियों में भारी मात्रा में हथियार छुपे हुए होते हैं। तक़रीबन हर मस्जिद और मदरसा कभी न कभी इन अवैध हथियारों की पनाहगार बनता ही है। बिहार-बंगाल सहित देश के अन्य राज्यों से आए दिन मस्जिदों और मदरसों में बम फटने की ख़बरें मिलती रहती हैं। एक अंदाज़े के मुताबिक़ आने वाले समय में भारत में होने वाले गृह-युद्ध की स्थिति में भारत के काफ़िरीन को क़त्ल करके ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ की स्थापना में इन हथियारों का वृहद स्तर पर इस्तेमाल किया जाना है।

चित्र: आये दिन इस्लामी संस्थानों में बम विस्फोटों की ख़बरें आती रहती हैं

इस कार्य को अंजाम देने में अदनान खगोशी जैसे सैकड़ों-हज़ारों क़ौमी मुजाहिद और हथियार तस्कर पिछले 40 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत रहे हैं। एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा हथियार सोवियत संघ से इस्लामी मुल्कों के टूटने के बाद भारत में लाये गए। एक अनुमान के अनुसार पूर्व सोवियत देशों से 1 करोड़ से अधिक AK-47 राइफ़लें ग़ायब हुईं मगर आज तक उनका कोई पता नहीं है। जानकारों के मुताबिक़ इन हथियारों का बहुत छोटा सा हिस्सा अफ़ग़ानिस्तान में है और बाक़ी का बड़ा हिस्सा भारत में खपाया गया है। यह बड़े ही दुर्भाग्य का विषय है कि अवैध तरीक़ों से भारत में विदेशी हथियारों को मंगवाने में भारत की पूर्व सरकारों की भी भूमिका रही है। वर्ष 1995 में हुआ ‘पुरुलिया कांड’ हमारे इस दावे की पुष्टि करता है।

चित्र: हर मदरसा-मस्जिद और उसमें कार्य करने वाले लोग अवैध गतिविधियों में शामिल रहते हैं

क्या था पुरुलिया कांड ?

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में 18 दिसंबर, 1995 को अपने काम पर जा रहे लोगों को खुली जगहों पर कई सारे बक्से दिखाई दिए। उन बक्सों में बुल्गारिया में बनी 300 AK-47 और AK-56 रायफ़लें, लगभग 15,000 राउंड गोलियां, 6 रॉकेट लांचर, बड़ी संख्या में हथगोले, पिस्तौलें और अंधेरे में देखने वाले उपकरण बरामद किए गए। शुरुआत में तो ग्रामीणों ने वो सारे हथियार अपने घर में छुपा दिए थे लेकिर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक लगने के बाद बड़े पैमाने पर हथियारों को बरामद करने का अभियान चलाया गया। देश भर में मची खलबली के बीच इस कांड के चार दिनों के भीतर ही 21 दिसंबर, 1995 को थाईलैंड से कराची जा रहे एन्तोनोव-26 नाम के इस रूसी विमान को मुंबई के ऊपर से गुज़रते समय नीचे उतारा गया। जांच के पश्चात उस विमान में सवार लोगों के तार पुरुलिया कांड से जुड़े हुए निकले।

चित्र: पुरुलिया कांड

विमान से ब्रिटिश हथियार एजेंट पीटर ब्लीच और चालक दल के छह सदस्यों को तो गिरफ़्तार कर लिया गया लेकिन इस कांड का मास्टर माइंड किम डेवी संदिग्ध घटनाक्रम के तहत हवाई अड्डे से बच निकला और अपने मूल देश डेनमार्क पहुंच गया। उसके बाद किम डेवी कभी भी भारत की गिरफ़्त में नहीं आ पाया। और तो और, उसके सहयोगी पीटर ब्लीच और चालकदल के सभी सदस्यों को भी भारत की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने माफ़ी देकर रिहा कर दिया।

वीडियो: दंगों में अवैध हथियारों के द्वारा ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी लोग

बीते कई दशकों में पुरुलिया कांड जैसे अनेक ऐसे कांड हुए हुए हैं जिनके द्वारा भारत के बहुसंख्यक समुदाय का व्यापक नरसंहार करने के लिए देश में अवैध हथियारों को खपाया गया है। अब तो देश के अंदर ही बहुत बड़े स्तर पर अवैध हथियारों का निर्माण किया जा रहा है। बिहार और बंगाल इस कार्य में सबसे अग्रणी प्रदेशों में अपना स्थान रखते हैं। आने वाले समय में होने वाले अवश्यंभावी दंगों एवं गृह-युद्ध की स्थिति में आपको हमारी इस बात के अनेक प्रमाण देखने को मिलेंगे।

शलोॐ…!