ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी: काफ़िरों को डरा कर उनके मन में भय भरना और उनकी ताक़त को तोलना…

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ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी में सबसे पहला क़दम इस्लामी जमात द्वारा काफ़िरों मन में इस्लामी ताक़तों का भय भरना होता है ताकि उनके इस्लाम-विरोध को धीरे-धीरे कम करके अंत में उसे समाप्त किया जा सके। इसके अलावा जहां-जहां काफ़िरीन बहुसंख्यक होते हैं वहां पर समय-समय पर उनकी ताक़त को भी तोल कर देखा जाता है।

इस मुक़ाम को हासिल करने के लिए काफ़िरों पर धोखे से हमला करना, उनकी लड़कियों व औरतों का बलात्कार और उनकी हत्या करना- जैसे विभिन्न प्रकार के जिहाद अमल में लाए जाते हैं। ऐसा करने के लिए काफ़िरों के ऊपर झुंड बनाकर एक साथ हमला किया जाता है। ऐसा पिछले कई वर्षों से भारत में जारी है। देश के विभिन्न हिस्सों में समय-समय पर छोटे-बड़े दंगे करवाकर इस्लामी ताक़तें अपना शक्ति-प्रदर्शन किया करती हैं। इन सब कार्यों से उनके द्वारा काफ़िरों की प्रतिक्रिया और होने वाले विरोध की मात्रा को तोला जाता है। पूर्व में हुए गोधरा, मुज़फ़्फ़रनगर, आज़ाद मैदान (मुंबई), जयपुर, अलीगढ़, पश्चिम बंगाल, किश्तवाड़ व दिल्ली दंगे- इसी इस्लामी रणनीति ही विभिन्न कड़ियां हैं।

सड़कें, ट्रेनें और बसें रोक कर नमाज़ पढ़ना, खुलेआम सड़कों पर और गलियों में जानवरों की क़ुरबानियां करना, छोटी-छोटी बातों से मज़हब विशेष को ख़तरा बताकर प्रदर्शन और दंगे करना, काफ़िरों की धार्मिक आस्थाओं का मज़ाक उड़ाना जैसे कि जावेद हबीब द्वारा सैलून में हिंदू देवी-देवताओं का विज्ञापन देना, मक़बूल फ़िदा हुसैन द्वारा भारत माता की अश्लील पेंटिंग बनाना आदि- ये सब काफ़िरों के मन में भय भरने और उनकी प्रतिक्रियाओं को तोलने के विभिन्न उपक्रम भर हैं।

शलोॐ…!