ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी: व्यापक दंगे करके अपने लक्ष्य में कामयाब होना…

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ग़ज़वा-ए-हिंद की पूर्व तैयारी के अंतिम सोपानों में व्यापक दंगे करके कफ़िरीन की ज़र, जोरू और ज़मीन पर कब्ज़ा करना इस्लामी जमात का अंतिम एवं अभीष्ट उद्देश्य है। इसके द्वारा बहुत ही कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा काफ़िरीन का ‘इलाज’ करने का ताना-बाना तैयार किया जाएगा। वर्ष 2012 में म्यांमार में रोहिंग्या आतंकवादियों एवं वहां के बौद्ध समुदाय के बीच हुई हिंसा के बाद उसकी प्रतिक्रिया, भारत के मुंबई स्थित आज़ाद मैदान में देखी गई थी। इसी तरह वर्ष 2012 में ही असम में हुई कुछ छुटपुट घटनाओं के आधार पर लखनऊ स्थित बुद्ध पार्क में जिहादी तत्वों द्वारा किया गया तांडव इन्हीं व्यापक दंगों का एक ट्रायल था। इसके अलावा कानपुर, बरेली, अलीगढ़, मुज़फ़्फ़रनगर, बंगाल, कश्मीर, गुजरात एवं दिल्ली दंगे भी इसी ग़ज़वा-ए-हिंद के लक्ष्य को लागू करने की कड़ी के ही हिस्से थे।

चित्र: भारत में पैर पसार रहे इस्लामी जिहाद के कुछ उदाहरण -01

यदि देखा जाए तो ग़ज़वा-ए-हिंद के इस मुक़द्दस काम को कभी भी अंजाम दिया जा सकता है लेकिन इस्लामी रणनीति के हिसाब से इसके लिए पाकिस्तान अथवा चीन से टकराव या सीमा पर तनातनी का समय सबसे उपयुक्त समय होगा। पाकिस्तानी वेबसाइटों पर कई बार ऐसा देखने में भी आया है। इसके अलावा व्यापक महामारी अथवा आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति में भी इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।

चित्र: भारत में पैर पसार रहे इस्लामी जिहाद के कुछ उदाहरण-02

ग़ज़वा-ए-हिंद की प्रक्रिया पहले भी अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत के कश्मीर में आज़माई जा चुकी है जो 100% सफल रही है। हाल-फ़िलहाल में जम्मू में इसका ट्रायल चल रहा है। 1,00,000 से अधिक रोहिंग्या आतंकवादियों को जम्मू में बसाने के पीछे का मूल उद्देश्य, आने वाले समय में जम्मू और लद्दाख़ की ज़मीन को काफ़िरीन से छीनकर उसे इस्लामी परचम के तले लाना है। केवल धारा 35-A और 370 को हटाने से ही कश्मीर को दारुल-इस्लाम बनाने की प्रक्रिया नहीं रुकेगी। इसके लिए भारत को वहां की जनसांख्यिकी को बदलने की आवश्यकता भी पड़ेगी जो कि निकट भविष्य में संभव दिखाई नहीं पड़ती।

केरल और बंगाल में भी इस ग़ज़वा-ए-हिंद की प्रक्रिया के बीजारोपण को अंजाम देने के लिए आवश्यक ज़मीन की जुताई चल रही है। आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि इज़रायल स्थित वेस्ट बैंक एवं ग़ाज़ा पट्टी जैसी फ़िलिस्तीनी आतंकवादियों की बस्तियों की तर्ज़ पर भारत के केरल में भी ‘ग़ाज़ा स्ट्रीट’ जैसी स्वतंत्र जिहादी बस्तियों का निर्माण हो चुका है। इन इस्लामी जिहादी बस्तियों में काफ़िरीन का घुसना एकदम हराम है। यह बहुत ही दुःख का विषय है कि भारत की बहुसंख्यक हिंदू जनता को इन वीभत्स इस्लामी षड्यंत्रों के विषय में प्राथमिक स्तर की जानकारी भी उपलब्ध नहीं है।

चित्र: केरल में शरिया क़ानून से संचालित होने वाली इस्लामी बस्ती ग़ाज़ा-स्ट्रीट बन चुकी है

यहां पर सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस ग़ज़वा-ए-हिंद मॉड्यूल का नेटवर्क भारत अथवा विदेशों में जहां-जहां भी फैला हुआ है, उसको बहुत ही सुनियोजित तरीके से नियंत्रित करने के लिए ‘तबलीगी जमात’ नामक एक विशेष इस्लामी संगठन कार्य कर रहा है। यह संगठन किसी न किसी प्रकार से देश के लगभग सभी छोटे-बड़े इस्लामी संगठनों का एकीकृत नियंत्रक संगठन है। ये संगठन दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए ख़ुद के ऊपर सामाजिक एवं कल्याणकारी कार्यों को करने वाले एक मज़हबी-संगठन का आवरण ओढ़े हुए है। ये जिहादी संगठन दुनिया के अन्य देशों से ग़ज़वा-ए-हिंद को लागू करने के लिए वहां के जिहादी तत्वों से विभिन्न माध्यमों के द्वारा फंडिंग करवाने एवं वैश्विक कूटनीति को अपने पक्ष में साधने का काम करता है।

यह देश का दुर्भाग्य ही है कि अभी तक तबलीगी जमात के ऊपर भारतीय सरकारों ने कार्यवाही करना तो दूर, उसके विषय में सब-कुछ पता होने के बाद भी अपनी आंखें मूंदकर रखी हुई हैं। इस संगठन को पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे टॉप आतंकवादी देशों सहित दुनिया के लगभग 35 से अधिक देशों तक ने अपने यहां बैन करके रखा है लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिए कि यह आतंकवादी संगठन लंबे समय से संसद भवन की नाक के नीचे बैठकर भारत एवं अन्य देशों में वैश्विक जिहाद का नेतृत्व कर रहा है। आने वाले आलेखों में इस जिहादी आतंकवादी संगठन का पूरी तरह से पर्दाफाश किया जाएगा।

शलोॐ…!