‘पृथ्वीराज सिंड्रोम’ का एक बार फिर से शिकार हुई भारतीय सेना…

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समाचार पत्रों के माध्यम से हमें यह सूचना प्राप्त हुई है कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) में रहने वाला मोहम्मद अली हैदर अनजाने में नियंत्रण रेखा पार कर भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में आ गया था जिसके बाद भारतीय सेना ने उसे उपहार देकर पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया।

विदित हो कि अभी कुछ सप्ताह पहले भी दो नाबालिग पाकिस्तानी बहनें भी भारतीय सीमा में घुसपैठ करते हुए पकड़ी गई थीं जिन्हें उस समय भी भारतीय सेना के द्वारा उपहार देकर वापस पाकिस्तान भेज दिया गया था। हमने उस समय भी भारतीय सेना द्वारा दिखाई गई उस अत्यधिक उदारता एवं सहिष्णुता की निंदा करते हुए अपने एक विशेष आलेख के माध्यम से अपना तीव्र-विरोध दर्ज़ किया था। कुछ लोगों के द्वारा हमारे उस आलेख के ऊपर अपना विरोध भी दर्ज़ करवाया गया था जिसके उपरांत हमने अपना एक विस्तृत स्पष्टीकरण भी प्रकाशित किया था।

हम इस बात को शुरू से कहते आ रहे हैं कि इस तरह से पाकिस्तान प्रशासित क्षेत्र से नाबालिग़ बच्चों का भारतीय सीमा में प्रवेश करना किसी गंभीर षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहा है। इससे भी अधिक गंभीर बात तो यह है कि भारतीय सीमा के अंदर घुसपैठ करके भारतीय सैन्य ठिकानों की रेकी करने वाले इन घुसपैठियों को गिरफ़्तार करने के स्थान पर भारतीय सेना के द्वारा इनको उपहार देकर वापस पाकिस्तान लौट जाने दिया जा रहा है।

इन नाबालिग़ घुसपैठियों का यह कहना कि वे ग़लती से भारतीय सीमा में प्रवेश करके आ गए हैं, यह किसी भी स्थिति में हमारे गले के नीचे नहीं उतर रहा है। भारतीय सीमा कोई दिल्ली स्थित चांदनी चौक का चौराहा नहीं है कि जिसको ग़लती से पार करके कोई व्यक्ति उधर से इधर चला आए। भारत प्रशासित कश्मीर एवं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के बीच नियंत्रण रेखा के दोनों ओर एक अच्छे-ख़ासे क्षेत्र में लगभग नो मेंस लैंड यानी कि मानव रहित भूमि जैसी स्थिति है जहां पर आमतौर पर किसी भी सामान्य व्यक्ति का भटककर सीमा पार करके जा पाना लगभग असंभव सी बात है।

पाकिस्तानी नीतियों के सांख्यिकीय डाटा के आधार पर यदि इन समस्त घटनाक्रमों का सघनता के साथ विश्लेषण किया जाए तो इस बात की संभावना प्रकट करना बिल्कुल भी अनुचित न होगा कि कहीं पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई एवं पाकिस्तानी सेना तो किसी ख़ास मक़सद से इन नाबालिग़ बच्चों को भारतीय सीमा के अंदर रेकी करने के लिए नहीं भेज रही है? दरअसल पाकिस्तानी पक्ष इस बात से भलीभांति परिचित है कि अत्यधिक उदारता, सहिष्णुता एवं ‘पृथ्वीराज सिंड्रोम’ की बीमारी से ग्रसित भारतीय लोग उसके घुसपैठिया जासूसों को पकड़ लेने के बाद भी उन्हें बिरयानी खिलाकर एवं उपहार प्रदान करके उसकी सीमा में वापस भेज देंगे। विदित हो कि हिंदुओं द्वारा ‘आवश्यकता से अधिक उदारवादिता के प्रदर्शन’ को हमारी इज़रायली विचारधारा ने ‘पृथ्वीराज सिंड्रोम’ नामक नाम प्रदान किया है। हिंदुओं के इस आवश्यकता से अधिक उदारवादिता के प्रदर्शन ने भारत राष्ट्र का कितना नुकसान किया है, इसका आकलन करने के लिए हमें तराइन के मैदान में पृथ्वीराज चौहान के निर्णयों से लेकर शिमला समझौते में मैमूना बेगम के निर्णयों और उनके वर्तमान परिणामों तक की विस्तृत एवं समग्र समीक्षा करनी होगी।

अपने समग्र अन्वेषण के उपरांत हम अभी केवल इतना कहना चाहेंगे कि इतनी जल्दी-जल्दी पाकिस्तानी नाबालिग़ बच्चों के भारतीय सीमा में पकड़े जाने की घटनाएं किसी भी स्थिति में भारतीय हितों के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। अगर इन घुसपैठियों को उपहार देकर इसी तरह छोड़ा जाता रहा तो आने वाले समय में देश को इसकी गंभीर क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

शलोॐ…!